भगवान श्री कृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए पंडित श्री सतेंद्र कृष्ण शास्त्री की
झांसी। जब-जब धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुई, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रूप में देवकी के अष्टम पुत्र में जन्म लिया । यह बात बड़ागांव गेट बाहर तलैया झांसी में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महापुराण के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए पंडित श्री सतेंद्र कृष्ण शास्त्री वृंदावन ने श्रद्धालुओं के बीच कही ।

भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए चौथे दिवस पंडित शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म का वर्णन किया। इसके पूर्व कथा वाचक ने कहा कि भागवत कथा महापुराण श्रवण करने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है । जब भी हमें समय मिले इस अवसर का लाभ लेना चाहिए।कथा सुनना तभी सार्थक होगा । जब हम उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ का कार्य करे । 

शास्त्री जी ने रामकथा का वर्णन करते हुए कहा कि मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्री राम ने धरती पर राक्षसों से मुक्त करने के लिए अवतार धारण किया। कथा में श्री कृष्ण जन्म होने पर समूचा पांडाल में बैठे भक्तजन नाचने झूमने लगे और श्री कृष्ण भगवान की जय जयकार कर खुशियां मनाई। 

कथा सुनने के लिए नगर एवं आस पास क्षेत्र के श्रद्धालु  काफी संख्या में शामिल हो रहे हैं।

(झांसी से हरिओम कुशवाहा की रिपोर्ट)

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