ग़ाज़ियाबाद : बृजेश श्रीवास्तव। शिप्रा सनसिटी इंदिरापुरम में भारतीय धरोहर संस्था द्वारा आयोजित भागवत कथा के पांचवें दिन बृहस्पतिवार को कार्यक्रम आरती और हरि के भजनों के साथ धूमधाम से शुरु हुआ। कथा व्यास जी ने भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं और रासलीला का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होनें कथा को आगे बढ़ाते हुए पूतना वध, यशोदा माता के साथ बाल्यपन की शरारतें, भगवान श्रीकृष्ण का गौ प्रेम, कालिया नाग मान मर्दन, माखन चोरी, गोपियों का प्रसंग सहित अन्य कई प्रसंग का कथा के दौरान वर्णन किया।

उसके बाद कथा व्यास श्री पवन नंदन जी ने भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि हमें अपने व्यस्त समय में से भगवान को भी समय देना चाहिए और उनकी अराधना करनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि इंद्र देव के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। इसके बाद उन्हें सात दिनों के लिए भूखा रहना पड़ा था। जिसके बाद उन्हें सात दिन आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाए गए थे। तभी से यह '56 भोग' परंपरा की शुरुआत हुई है। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव का अहंकार तोड़ कर गोकुल में भगवान इंद्र की पूजा को रोककर नंदवासियों द्वारा श्री गोवर्धन पूजा शुरू करवाई थी।

श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथा ब्यास द्वारा बीच-बीच मे सुनाये गए भजनों से श्रोतागण भावविभोर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भागवत कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। कलियुग में हरि नाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है।

कथा व्यास ने बताया कि भागवत कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। कलयुग की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि कलयुग में मानस पुण्य तो सिद्ध होते हैं। परंतु मानस पाप नहीं होते। कलयुग में ईश्वर का नाम ही काफी है। सच्चे हृदय से हरि नाम के सुमिरन मात्र से कल्याण संभव है।

आयोजन समिति की ओर से आज कथा प्रसाद में फलों का वितरण किया गया। इस धर्मार्थ कार्य में प्रमुख रूप से कपिल त्यागी, विजय शंकर तिवारी, सुचित सिंघल, धीरज अग्रवाल, सीपी बालियान, सुशील कुमार, अविनाश चंद्र, स्वाति चौहान, कमलकांत शर्मा, संजय सिंह आदि उपस्थित रहे।



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