ग़ाज़ियाबाद : बृजेश श्रीवास्तव। शनिवार 12 अक्टूबर को विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने हनुमान मंगलमय परिवार संग विजयदशमी एवं शस्त्र पूजन कर बताया कि अधर्म पर धर्म की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और भगवान राम द्वारा रावण का वध करने के उपलक्ष्य में विजयादशमी यानी कि दशहरा मनाया जाता है। दशहरे को विजयादशमी भी कहते हैं। दशहरे के दिन शस्त्र का पूजन भी होता है। शस्त्र पूजन का अभिप्राय और परंपरा रावण के वध के बाद ही शुरू हुई है। 

विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि राम और रावण के बीच युद्ध लंबा चला और समस्त देवी-देवताओं ने अपने विशेष अस्त्र और शस्त्र भगवान राम को रावण के वध के लिए दिए थे। जब रावण का वध हो गया तब भगवान श्रीराम ने इन शस्त्रों का पूजन कर देवताओं को लौटाया था। 

इन शस्त्रों में देवी-देवताओं ऋषि-मुनियों की ओर से दिए किए गए शस्त्र शामिल थे। तभी से दशहरे पर शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है। वे कहते हैं कि इन्हीं अस्त्र और शस्त्र से भगवान राम ने रावण का वध कर युद्ध में विजय प्राप्त की थी।



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