देहरादून : बृजेश श्रीवास्तव। सहायक निदेशक शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा आचार्य डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा कि अपने अपने कार्य क्षेत्रों में ईमानदारी और कर्मठता से कार्य करना ही राष्ट्र ध्वज तिरंगे को सच्ची सलामी देना है।

डॉ घिल्डियाल बृहस्पतिवार 15 अगस्त को 78वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में पहले संस्कृत प्राथमिक विद्यालय सारथी विहार देहरादून के प्रांगण में मुख्य अतिथि के रूप में ध्वजारोहण कर रहे थे।

सहायक निदेशक ने कहा कि स्वतंत्रता दिलाने के लिए यदि यह देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसे तत्कालीन युग पुरुषों का आभारी है, तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस सरदार भगत सिंह, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अद्भुत बलिदान को भी इतिहास के पन्नों में भुलाया नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा कि यदि हम अपने-अपने कार्य क्षेत्र में ईमानदारी और कर्मठता से कार्य करते हैं, तभी वास्तव में राष्ट्रध्वज को सच्ची सलामी हो सकती है।

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अपने 40 मिनट के उदबोधन में छात्र-छात्राओं विद्यालय स्टाफ एवं उपस्थित अतिथियों एवं जन समुदाय को एकाग्र चित्त कर देने वाले कुशल प्रशासक एवं विद्वान अधिकारी डॉ घिल्डियाल ने विद्यार्थियों का आवाहन किया कि हम सभी भाषाओं का अध्ययन करें। परंतु भारत की प्रतिष्ठा के मूल में जो संस्कृत और संस्कृति है, वह भारत की जड़े हैं। इसलिए उनको कभी नहीं भूलना चाहिए। अन्यथा देश को विदेशी शक्तियां पूर्व की भांति फिर से गुलाम बना देंगी। हमें झूठी धर्मनिरपेक्षता से परहेज करते हुए देश के नौनिहालों में मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, अतिथि देवो भव के संस्कारों को पुष्पित और पल्लवित करना होगा और इसमें वर्ष 2020 की नई शिक्षा नीति महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।

इससे पूर्व ठीक 9:00 बजे सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने मुख्य अतिथि के रूप में करतल ध्वनि एवं राष्ट्रगान की धुन के बीच ध्वजारोहण करते हुए परेड की सलामी ली। 

विद्यालय की प्रधानाध्यापिका कविता मैठाणी ने विद्यालय परिवार की तरफ से सहायक निदेशक का भव्य स्वागत करते हुए कहा कि यद्यपि विद्वान एवं कुशल प्रशासक अधिकारी की छवि होने के नाते उन्हें प्रदेश के तमाम प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से कार्यक्रम हेतु आमंत्रण रहता है। परंतु प्राथमिक शिक्षा का आमंत्रण स्वीकार करना उनकी शिक्षा के बुनियादी ढांचे के प्रति सम्मान युक्त सोच को प्रदर्शित करता है।

विद्यालय की छात्राओं द्वारा "मन से करें स्वागत आपका” समूह गान से मुख्य अतिथि का स्वागत किया गया। बच्चों ने आजादी की लड़ाई पर विचार गोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। विद्यालय में विभिन्न क्षेत्रों में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले नन्हे मुन्ने बच्चों को पुरस्कार वितरित करते हुए सहायक निदेशक ने कहा कि पुरस्कार से बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ती है तथा अच्छा कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। 

इस अवसर पर विद्यालय की अध्यापिकाएं संतोषी मैठाणी, नेहा नेगी, दिव्यां जोशी, ममता बिजलवान, शीला सेमवाल, सरला गौड़, हेमा सिंह, विनोद कुमार सहित सभी छात्र छात्राएं एवं बड़ी संख्या में अभिभावक उपस्थित रहे।



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