ग़ाज़ियाबाद : बृजेश श्रीवास्तव। रविवार 23 जून 2024 को ग़ाज़ियाबाद में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक बड़े धूमधाम से मनाया गया।

हिंदू साम्राज्य की स्थापना के उपलक्ष्य में ये उत्सव वर्ष 2019 से निरंतर ग़ाज़ियाबाद में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। समाज के विभिन्न वर्गों के लोग इसमें उपस्थित होते हैं और सामाजिक पर्व की तरह भाग लेते हैं।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचीन श्री दूधेश्वर नाथ पीठ से हुआ जिसमें 1100 माताएं और बहनों द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में सर्वप्रथम कलश पूजा की गई। तत्पश्चात सभी मातायें और बहनों द्वारा पूजित कलश यात्रा आरंभ की गई। इतनी वृहद संख्या का संचलन देखते ही बनता था। यात्रा का मार्ग शहर के विभिन्न रास्तों और बाजारों से होते हुए बलिदान पथ पर समाप्त हुआ। इस यात्रा में छत्रपति शिवाजी महाराज की अतिसुंदर झांकी के साथ 101 खड्गधारी बहनों का पथसंचलन निकाला गया। यात्रा में विभिन्न स्थानों पर झांकी की आरती व मंगल गीत की प्रस्तुति हुई। साथ ही मार्ग पर समाज के विभिन्न संगठनों द्वारा लगभग 51 स्थानों पर जलपान की व्यवस्था रही। इस यात्रा में सबसे आगे 21 बुलेट वाली बहनों का प्रदर्शन दर्शनीय रहा। पूरी यात्रा की सुरक्षा एवं सफलता में राष्ट्र सेविका समिति की लगभग 50 बहनों का सहयोग रहा। घोष और नृत्य के साथ यात्रा की समाप्ति के पश्चात मंच पर कार्यक्रम के अगले सत्र की प्रस्तुति रही।

मंचीय कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि महेंद्र जी (क्षेत्र प्रचारक), मुख्य वक्ता प्रो० राकेश सिन्हा (वरिष्ठ विचारक व सांसद) और कार्यक्रम अध्यक्ष महंत श्री नारायण गिरी जी द्वारा भारत माता के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

मुख्य अतिथि महेंद्र जी ने अपने वक्तव्य में कहा - प्रारंभ में हिंदू साम्राज्य दिवस नहीं मनाया जाता था। शिवाजी ने हिंदू साम्राज्य का नाम नहीं दिया। समर्थ गुरु रामदास के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने सभी तीर्थ स्थान का भ्रमण किया तथा समाज में हो रही परेशानियों को देखकर विचलित भी हुए। शिवाजी ने जैसे को तैसे जवाब देने की प्रथा शुरू की। शिवाजी के पराक्रम के बारे में विस्तार से चर्चा की। शिवाजी एक कुशल प्रशासक थे। उन्होंने विदेशी व्यापारियों पर कर लगाया और हिंदू व्यापारियों को सहूलियते प्रदान की। गुरिल्ला युद्ध की शैली शिवाजी द्वारा शुरू की गई। जो लोग धर्म बदल चुके थे उन्हें अपने धर्म में लाने के लिए उन्होंने विशेष कार्य किया। वह बहुत चरित्रवान थे। इस विषय पर उन्होंने काफी विस्तार से चर्चा की। हिंदुओं को संगठित करने पर बल दिया।

छत्रपति शिवाजी एक ऐसे साहसी और संकल्पित योद्धा थे, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में ‘हिन्दवी स्वराज्य’ के संस्थापक के रूप में ऐतिहासिक कार्य किया। ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी, 6 जून, 1674 को अपूर्व भव्यता के साथ, वह छत्रपति, ‘सर्वोच्च संप्रभु’ के रूप में सिंहासन पर बैठे। 

मुख्यवक्ता प्रो० राकेश सिन्हा ने कहा छत्रपति शिवाजी ने एक साम्राज्य की स्थापना की। उस समय उन्होंने एक ऐसी योजना बनाई। जब मुग़ल अक्रांताओं ने उनके किलो को तोड़ने के ऊपर विचार करने लगा तो शिवाजी ने 332 किलो की स्थापना की। औरंगजेब अपने जीवन काल में 27 किलो को ही तोड़ पाया। शिवाजी का जो साम्राज्य बच गया यह शिवाजी की एक आखरी योजना थी। देश में 6 विभाजन हुए कंधार, भूटान, नेपाल, तिब्बत, लंका, म्यांमार। 1947 में पाकिस्तान हमसे अलग हो गया उन्होंने इस बार विभाजन को इतिहास में ना पढ़ाई जाने को एक साजिश बताया। इसके बाद में उन्होंने देश को एक अखंड भारत बनाने की सभी देशवासियों को प्रतिज्ञा दिलवाई तथा देश को एकजुट होकर देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध कराया।

कार्यक्रम अध्यक्ष मंहत श्री नारायण गिरी जी ने शिवाजी की गाथा को बताते हुए सभी को आशीर्वचन प्रदान किया। अपने प्रवचन में उन्होंने बताया कि प्रबोधन के लिए ग्रामीण स्तर पर और ज्यादा कार्य किए जाने की व्यवस्था पर जोर दिया जाए। जातिवाद को मिटाना संभव नहीं है पर समरसता हो सकती है। उन्होंने हिंदुओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। विपरीत परिस्थितियों में भी हिंदू आगे बढ़ता है। उन्होंने जीजाबाई ने शिवाजी को जो शिक्षा दी उसके बारे में विशेष विस्तार पूर्वक चर्चा की तथा गाजियाबाद का नाम गजप्रास्थ करने की चर्चा की। गाजियाबाद में शिवाजी की मूर्ति लगनी चाहिए इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

समारोह में परिवारों से आए 21 बालकों का शिवाजीराजे के प्रतिरूप में राज्याभिषेक किया गया। साथ ही बालिकाओं द्वारा माता जीजाबाई के स्वरूप का वैभवशाली प्रदर्शन किया गया।

100 से अधिक बच्चों का उत्साहपूर्वक छत्रपति महाराज की वेशभूषा में उपस्थिति से उत्सव की छटा देखते ही बनती थी।

हिन्दू साम्राज्य की स्थापना के 350वें गौरवशाली वर्ष को नाटकबाज थिएटर द्वारा नाट्य मंचन कर प्रस्तुत किया गया। इस नाट्य मंचन द्वारा बताया गया कि शिवाजी ने एक महान ‘हिंदवी स्वराज्य’ की स्थापना करते हुए विभाजनकारी और दमनकारी इस्लामी शासन का प्रतिरोध किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर हिंदू धर्म का पुनरुत्थान और प्रसार सुनिश्चित किया। अपनी माँ जीजाबाई, समर्थ गुरु रामदास और भारत के अन्य संतों और सम्राटों के उच्चतम आदर्शों से प्रेरित होकर, उन्होंने न केवल हिंदुओं की सुषुप्त चेतना को जागृत किया, बल्कि उन्हें संगठित करते हुए मुगल शक्ति को खुली चुनौती दी।

इस समारोह में आए सभी आगंतुकों के बैठने की उचित व्यवस्था, उनके लिए जल, मीठे पानी, पार्किंग की समुचित व्यवस्था और सुरक्षा के दायित्व को संघ के कुशल कार्यकर्ताओं द्वारा उच्च मानदंड में प्रस्तुत किया गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गाजियाबाद महानगर ने इस कार्यक्रम में हिंदवी साम्राज्य दिवस को पुनः जीवित कर दिया और समाज के विभिन्न वर्गों से आए आमजनों को यह संदेश दिया कि सनातन धर्म कभी भी कमजोर या दयनीय नही था। अपितु अपनी सभी बाधाओं को लांघते हुए चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। इसी भावना के साथ शारीरिक, बौद्धिक, अनुशासन, व्यवस्था और संस्कार का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम में क्षेत्र संपर्क प्रमुख आनंद, प्रांत संपर्क प्रमुख वेदपाल, सह प्रांत प्रचारक विनोद, विभाग संघचालक कैलाश चंद्र, विभाग कार्यवाह देवेंद्र, विभाग संपर्क प्रमुख  योगेंद्र, मनमीत तथा शहर के गणमान्य व्यक्ति सांसद अतुल गर्ग, अनिल गर्ग, कैबिनेट मंत्री नरेंद्र कश्यप, विधायक अजीत पाल त्यागी आदि उपस्थित रहे।




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