आमिर खान प्रोडक्शन की फ़िल्म है तो छोटी से छोटी बात का ध्यान रखा गया है। महिलाओं के जीवन की कई समस्याओं को उठाने में फ़िल्म "लापता लेडीज़" पूरी तरह क़ामयाब रही है।
ट्रेन के जनरल कंपार्टमेंट में घूँघट के कारण दुल्हन बदल जाती है जिसका पता उसे ससुराल पहुँच कर चलता है। घर के दबाव के कारण ना चाहते हुए विवाह करने वाली दुल्हन इसे अपने जीवन के लिए एक अवसर मान लेती है, क्योंकि वो आगे पढ़ना चाहती थी।
दूसरी दुल्हन स्टेशन पे अकेली रह जाती है जिसे चाय की दुकान चलाने वाली दादी महिलाओं की ज़िंदगी में हो रहे फ्रॉड के बारे में समझाती हैं। दादी अपनी ज़िंदगी अकेले जी रही हैं क्योंकि उसका पति उसकी ही कमाई खाता था और उसी के साथ मारपीट करता था।
महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर बनी फ़िल्म "लापता लेडीज़" पूरे परिवार के साथ देखी जाने वाली फ़िल्म है। लड़कियों को पढ़ाना लिखाना, उनको अपने पैरों पर खड़ा करना आवश्यक है। फ़िल्म पूरी तरह से सरल तरीक़े से अपनी बात को समझाने में सफल हुई है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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