*** (1) ***
परिचय
नाम : अमृत बिसारिया
जन्म : 16 जनवरी 1948
स्थान : इलाहाबाद
शिक्षा : एम.ए, राजनीति शास्त्र, यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहाबाद
एम .ए . प्राचीन इतिहास,
1-बेस्ट टर्नआउट ( certificate in इंडिया)
2-बेस्ट निशानेबाज़ (सर्टफ़िकेट इंटर नेशनल )
एल टी, गवर्न्मेंट कोलेज
Trained guide of Dehradun
केंद्रीय विद्यालय, टी जी टी, सामाजिक विषय, सेवानिवृत विदेश भ्रमण - पेरिस, स्विटज़र लैंड, (यूरोप) जर्मनी, लंदन और ज़्यादातर निवास दुबई में।
7 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है : कविता संग्रह ‘अनुकरणीय‘,कहानी संग्रह ‘बुनियाद रिश्तों की’, कविता संग्रह ‘अवधारणा’ इसमें जीवन के इंद्रधनुष रंगों के अनेक स्वरूप देखने को मिलेगें,‘किलकारी से चैतन्यता तक’ इसमें पाँच साल तक के बच्चों के लालन पालन के बारे में लिखा है।‘अमृत तरंगिनी’ जीवन के हर पहलू को छूने है। ‘क्षिति‘ धरती से असमां तक के रंगों का वर्णन है। ‘सुरम्य‘ मानव भावनाओं का प्रकृति के साथ चित्रण। एक काव्य प्रकाधनाधीन है ।
छः साझा संकलन :पिता मेरे जीवन दानी, भारत गौरव गाथा गाथा संकलन ) राष्ट्र पति श्रीमती द्रौपदी मुर्मुर को समर्पित है। कुमुदावली, शब्द साक्षी, मुरली मनोहर शरणम और यदुवंशी श्री ।
सम्मान:-अनेक अंतरष्ट्रीय राष्ट्रीय, ऑन लाइन ऑफ लाइन
मुंशी प्रेमचंद्र अवार्ड-2023
भारत रत्न अटल अवार्ड -2023
साहित्यिक मंच से उत्कृष्ट लेखनी के, श्रेष्ठ रचना, पंक्ति लेखन, प्रशस्ति पत्र, गज़ल गौरव सम्मान, भक्त शिरोमणि रचनाकार, काव्य विभूति सम्मान, सर्वश्रेष्ठ रचनाकार, उत्कृष्ट सृजन सम्मान, काव्य विभूति सम्मान, मिम्स लेखन सम्मान, विजित रचनाकार सम्मान, श्रेष्ठ शब्दकार सम्मान, उत्कृष्ट प्रस्तुति सम्मान, शारदा साहित्य सम्मान, कविता video श्रेष्ठ सम्मान। काव्य गोष्ठी में काव्य पाठ के लिए
सम्मान -बेस्ट राइटर ऑफ द मंथ अवार्ड
लाइव काव्य पाठ होस्ट करने के लिये
अतः 500 से ज़्यादा सम्मान। मुख्य पत्र पत्रिकाओं में मेरी कविता को उचित स्थान मिला है।
प्रकाशित कृतियां : ज़्यादातर मानव मूल्यों पर आधारित, सकारात्मक, प्रकृति से जुड़ी और सुझाव युक्त होती है ।
राम चंद्र कृपालु भज मन
श्री राम चंद्र कृपालु भज मन हरण भव भय दारुणम ,
श्री राम कर्तव्य पारायण, आज्ञाकारी, व्यवहार कुशल,
थे आदर्श पुरुष, सभी महान गुण से संपन्नश्री
राम है, श्री राम का वर्णन करते श्रद्धा से मन झुक जाता है।
है मेरे मन मंदिर में राम लाला मेरे घर आँगन में राम लला यह भावनाओं की ही पूजा है और न्यारे रिश्तों का सागर जन्मभूमि है राम लला की राम लौट घर आएंगे, 22 जनवरी को राम लौट अयोध्या आयेंगे।
सर्वोत्तम श्री राम रामायण, रामचरित
मानस के क्यों दिखलाओं दीपक तुम
सूर्य तेज़ है जिसमें बचपन अद्भुत राम
लला का माँ को नारायण रूप दिखा।
माँ को चाहिए पुत्र रूप में विनती कर
समझाया था मानव रूप में जन्म लिया
मानव कर्म बताया था आदर्श पुत्र बन
दशरथ का वचन निभाया था।
मैं उड़ना चाहती हूँ / मैं पतंग हूँ
मन में भरे पतंग सा भाव
मैं उड़ना चाहती है
क्षितिज के उस पार कहीं
पता है जोखिम भारी है राहें
फिर भी आसमाँ को छूने
का जुनून रग रग में भरा।
कितना कोमल है
तन काग़ज़ का
डोरी रथ बनी है
पर है कितना विश्वास
कमाल का मनोबल
धमाल कर रहा है दिल
फिर भी आकाश में उड़ना चाहती हूँ।
उड कर तो देखो
पवन संग इतराती हूँ
कर्ण सा तीरन्दाज बन जाती हूँ
अभिमन्यु का चक्रव्यूह भेदन सीख जाती हूँ।
कौन है कौरव कौन है पांडव
महाभारत तो शकुनि की चाल है
शकुनि को बीच से हटाना होगा
एक और महाभारत
होने से बचना होगा
मैं पतंग हूँ जिस्म साथ न दे
पर भावों से उड़ान भारती हूँ हवाओं से पुरज़ोर।
हवायें चक्रव्यूह पर
मेरी चरखी भी मेरे
चहेतों के हाथ है
रिश्ते सँभालती हूँ
दिल को दिल से जोड़ती हूँ
ख़ुशी आनंद रंगीनियाँ भरती हूँ
तभी तो प्यार मोहब्बत की डोरी से
असमां में उड़ती हूँ क्योंकि मैं पतंग हूँ मनमौजी
उड़ती रहे आकाश में
आशाओं की पतंग हमारी
करती स्वप्न हमारे पूरे
उमंग और ख़ुशियों से दूर देश हो आती चंचला हूँ।
*** (2) ***
परिचय
अवंतिका विशाल"अवि"
लुधियाना पंजाब
एम.ए. बी.एड फर्स्ट क्लास..
इंटरनेशनल लॉजिस्टिक्स
कंपनी में कार्यरत
उद्योग रत्न ऑवार्ड से सम्मानित
ख़्याल अनुगूँज साहित्यिक संस्था से सम्मानित
ड्राइंग, पेन्टिंग, रंगोली, सॉट हेन्ड, मेंहदी, कुकिंग, सिलाई, कढ़ाई, इत्यादि प्रतियोगिता में फर्स्ट
आओ सखी आओ झूमो नाचो
अवध श्री राम आए हैं
गाओ सखी गाओ मंगल गान
अयोध्या राम पधारे हैं
द्वारे लगाओ बंदनवार
आँगना सजाओ रंगोली
दीप जलाओ समृद्धि के
रंग दो धरती पर रोली
आओ सखी आओ झूमो गाओ
राम लला घर आए हैं
सिया संग लक्ष्मण भी आए
हनुमान बने साए हैं
बारिश कर दो फूलों की तुम
सुनहरे बादल छाए हैं
गाओ सखि गाओ राम नाम तुम
अयोध्या स्वर्ग बनाए हैं
गली चौबारे दीप सजा दो
करुणानिधान आए हैं
नाव फंसी है बीच भंवर में
प्रभू तारने आए हैं
भव सागर से पार लगा दो
मन उमंग सजाए हैं
खूब सजी है महल अटारी
पुलकित मन दीवाने हैं
क्या माँगू प्रभु तुमसे मैं
जीवन डोर तुम्हारी है
भर भर झोली खुशियाँ बाटूँ
मेरे राम प्रभू आए हैं
नैनन भर लूँ मूरत प्रभु की
आँख मेरी हर्षाई हैं
लूँ बलैया प्रभु जी तुम्हरी
आँचल खुशी भर आई हैं
कर हो आशीषों की प्रभु वर्षा
चरण तुम्हारे आए हैं
गाओ सखी गाओ मंगलाचार
प्रभु श्री राम पधारे हैं
आकुल प्रेम
छिपा रहा भीतर
अंकित तन पर
आह भरता लब सीकर
चेहरे पर निखरा
अंक में ठहर गया
रहता प्रतिक्षारत
हृदय प्रीति रंग भरता
उर में समेटे
छूता इंद्रधनुष
गुलाबी रंग लिए
शीतल शुभ्र रहता
भौर शुचि खिलता
साँझ मुरझाता
प्रियतम मिलन आस
हर दिन जलज रहता
प्रेम बीज बोता
नेह नीर सींचता
बन जाता पौधा
रसमय जीवन जीता
*** (3) ***
परिचय
अपना पूरा नाम = श्री मती ब्रह्माणी खरे
साहित्यक उपनाम = ब्रह्माणी "वीणा" हिन्दी साहित्यकार
शैक्षिक योग्यता- एम ए ( हिन्दी साहित्य )
जन्म तिथि ===== 11 मार्च
नोयडा में 2009में"दिशा भारती मीडिया" के तत्वावधान में संचालित * ज्ञान यज्ञ * में मेरी तीन प्रमुख प्रकाशित पुस्तकों" काव्य -वीणा" तथा कहानी संग्रह" अपराजिता" व संस्मरण संग्रह" अतीत की गलियाँ " का विमोचन व उदघाटन करने के बाद साहित्यकार सम्मान से विभूषित किया गया,,,,,,जो मेरे लिए अविस्मरणीय है।
पुरस्कार,सम्मान,व उपलब्धियाँ
करीब 2002 से मै अबतक देश की प्रमुख हिन्दी पत्रिकाओं जैसे मेरी सहेली, सखी ,गृहशोभा ,वनिता तथा विशेष कर दिल्ली -6 मुझे अत्यधिक पुरस्कार व सम्मान मिला है व मिल रहे हैं,,,अनेक हिन्दी समूहों से,,,,,,,,मुक्तक सम्राट , काव्य सुधा सम्मान तीन बार,चित्र मंथन,छंद श्री सम्मान,,,श्रेष्ठ गीतिका सम्मान,,,हिन्दी काव्य भूषण सम्मान,( मुक्तक लोक)
"अखिल भारतीय काव्य प्रतियोगिता"मे उत्तरप्रदेश से गाजियाबाद मै तृतीय स्नान
" जीवन-वीणा" कविता पुरस्कृत हुई,,,,,,,,,,,,,,,,
वर्तमान समय में दो वर्षों से फेजबुक में आने के बाद मेरी काव्य अभिरुचि को और भी उड़ान मिल गई है।मुक्तक लोक मेरा प्रिय समूह है जहाँ आदरणीय विश्वम्भर जी के साहित्यिक मंच से नव सृजन,दोहा-मुक्तक ,गीतिका ,-काव्य ज्ञान प्राप्त किया है ,यहाँ की साहित्यक उपलब्धि में कई सम्मान पत्र प्राप्त हुए,,,*गीतिका सम्मान*
*छंद श्री सम्मान* चित्र मंथन सृजन सम्मान*तथा और कई सम्मान मिले,,,
"राम लला की प्राण प्रतिष्ठा"
राम लला की…,प्राण प्रतिष्ठा।
पूरी हुई,…… सनातन- निष्ठा ।
कलयुग में ….अब त्रेता जैसा,
पूजन,अर्चन ,ध्यान शमिष्ठा ।।
सारे जग में,…जय जय कारा ।
सबने……,,आमंत्रण स्वीकारा ।
अवध पुरी ….. हो गई सुहानी,
जय श्री राम नाम …ओंकारा ।।
सजी…अयोध्या नगरी प्यारी ।
स्वागत में,,सब जन नर नारी ।
धाम-निकेतन ,,,सजा हुआ है,
सजा पताका,… बंदन वारी ।।
राम धाम में,……. है उद्घाटन ।
लहरे ध्वजा,, सजा सिंहासन ।
धर्म सनातन के,,,ध्वज वाहक,
जय श्री राम सदा दुख हारन ।।
राम धाम है,….. परम पुनीता ।
पद-पंकज सँग… धावैं सीता ।
राम लखन भय अधिक सुखारे,
धर्म-ध्वजा,..फहरे मन मीता ।।
आए …राम लला निज धामा।
हर्षित नर-नारी अरु ….वामा ।
मंगल भवन,…..अमंगल हारी,
सब जन ….पूजन आए रामा ।।
हरिगीतिका छंद आधारित,,, गीतिका
2212 ,2212,2212,2212
कविता मधुर मन भावनी,कवि के हृदय की स्वामिनी ।
कवि-मानसी "वीणा" सुरो सी,झंकृता ज्यों रागनी ॥
शुचि शब्दिका,मधु कल्पना की छंदिका से गीत मय,
करती हृदय आनंदमय,…..बहती अमिय-मंदाकिनी ।
ये शारदे की ज्ञानदा,……….सदभाव की है साधिका,
प्रस्फुटित मन की चेतना है,……रौशनी ज्यों दामिनी ।
भाषा सरल गतिमान हो,…हिन्दी सृजित हो छंदिका,
मन मोहिनी,मन मुग्धिता,…कविता बने जग पावनी ।
कविता प्रबल,सुजला,सुफल,जो ज्ञान दे,संत पंथ को,
सुंदर,सरस,कोमल,विमल…संचारिका शुभकामनी ।
वरदान -#वीणापाणि की,….रचती रही मधु कल्पना,
सद्भाव कोमल भावना की,..शिल्प सृजिता मानिनी॥
*** (4) ***
परिचय
नाम : चंद्रमणि चौबे
जन्म : 15 अप्रैल 1985
स्थान : सासाराम
शिक्षा : * एम.ए., राजनीति शास्त्र, यूनिवर्सिटी वीर कुंवर सिंह पटना
* डबल एम .ए., राजनीति शास्त्र, इंद्रा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी
टीचर ट्रेनिंग ऑफ बिहार
टीचर ऑफ बिहार
उपलब्धि :
समाज द्वारा सम्मानित
अपने कार्य क्षेत्र में पदाधिकारी द्वारा सम्मानित।
साहित्य में एवं गीत, संगीत में रुचि
प्रभू जग के महानायक हो
तुम ही सृष्टि के दायक हो
हर घर में दीप जलेंगे प्रभू
जन जन के सुखदायक हो!
त्रेतायुग के अवतारी हो
प्रभू चक्रसुदर्शन धारी हो
अवध बिहारी नाम तिहारी
कौसल्या नंदन हितकारी हो!
दशरथ घर गूंजें किलकारी
हर्षित है कौसल्या महतारी
श्यामल छवि मनमोहक है
प्रभू तुम मुनि मन हारी हो!
अद्भुत छवि प्यारी लीलाधारी
हरि राम रूप में आये हो
प्रभू राम, लखन, भरत भुवाल
चारों भैया कहलाये हो!
माँ कौसल्या जाय बलिहारी
हे राम तुम हो मंगलकारी
छुकर चरण पत्थर भई नारी
ऋषि नारद गाये महिमा न्यारी!
जीवन की भीड़ में
वक्त की बड़ी चुनौती है
मन को है आसमां छुने की चाहत
परिश्रम तो जीवन का मोती है!
ढूंढना क्या है दुनियाँ में
सब कुछ ही तो मेरे अंदर है
क्या देखना मायावी दुनियाँ को
जब अपना मन ही मन्दिर हैं !
ज्ञानी पुरुष रुकते नहीं
जिंदगी जंग में थकते नहीं
हौसलें बुलंद कर आगे बढ़ते
बिकट समय में भी झुकते नहीं!
जीवन का महत्व जीने में है
प्रेम दया करुणा से भरपूर
आत्म विश्वास जगाओ जीवन में
जिसमें आश, निराश दोनों दस्तूर!
*** (5) ***
परिचय
नाम _ कुसुम लता
जन्म तिथि_ ०१/०१/६२
स्थान_ मुजफ्फरनगर
शैक्षिक योग्यता _ एम ए हिंदी,अर्थशास्त्र, बीएड
सेवा निवृत शिक्षिका,दिल्ली से
साहित्यिक क्षेत्र में उपलब्धियां_ गद्य एवम पद्य दोनों
कई हजारों में सम्मान एवम प्रशस्ति पत्र ,काव्य पाठ ऑन लाइन एवम ऑफ लाइन
सांझा संग्रह लगभग ३०
काफी पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं को स्थान मिला
विदेश में रहकर हिंदी का प्रचार करती हूं फिलहाल अमेरिका में रह रही हूं।
वर्षों का था सपना जो हुआ है साकार,
सदियों की प्रतीक्षा थी मन हुआ तार तार।
अयोध्या के राजा राम जग के दुलारे,
दीपक का थाल लेकर खड़े जन द्वारे।
हर नगर हर गली गली हो गई गुलज़ार,
इंतज़ार की घड़ी थी लंबी भक्त थे बेकरार।
धैर्य लेता परीक्षा सदैव प्रफुल्लित हुआ मन अपार,
वर्षों का था सपना जो हुआ है साकार ।
धरा पर अलौकिक छटा की वर्षा है अद्भुत संयोग,
जीवन आनंदित हुआ राम लला प्राण प्रतिष्ठा का योग।
राम राम बोल चहुं ओर मचा है शोर,
जय जय कार हो रही अवध में घनघोर ।
हर्ष से झूम रहें बालक वृद्ध नारी हैं,
अवध की लीला न्यारी है कहती दुनिया सारी है।
भक्ति में लीन डूबी अयोध्या नगरी प्यारी है,
अहो भाग्य हमारे झोंपड़ी भी आज जगमग हमारी है।
बाईस जनवरी है बड़ी तिथि बड़ा है पावन नाम,
शबरी निषाद केवट अहिल्या सबको पार उतारे राम।
जय जय राम सीता राम जय जय राम सीता राम,
जन्म स्थली श्री राम की लौटेंगे स्व धाम।
वर्षों का जो सपना था हुआ है साकार,
दीयों से सजेगी अयोध्या लगेगी दीपमाला कतार।
राम लला के चरण पड़ेंगे धूलि पर हम चलेंगे,
सरयू की लहरें कहती है अवध के अब भाग्य जगेंगे।
धरती पर स्वर्ग उमड़ आया मर्यादा पुरुषोत्तम आयेंगे,
प्राण प्रतिष्ठा करके हम सब भगवा अब फहराएंगे।
मर्यादा कुल की सदैव मर्यादा के श्री राम,
मर्यादा ही जीवन है बता गए त्रेता में राम।
माता भ्राता पिता गुरु प्रजा थी उनकी शान ,
बिन मर्यादा के अध्यात्म की कैसे हो पहचान।
मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाएं सीख लें सभी जन,
सर्वगुण संपन्न बनो काम क्रोध लोभ तज मन।
वर्षों का सपना था जो हुआ है साकार,
राम राम सीता राम आ रहें हैं सरकार।
जय श्री राम 🙏
राम राज्य
राम के चरित्र का युद्ध युवा पीढ़ी को देता एक सीख,
पर्व बड़ा ही पावन राम का तात्पर्य सदा सत्य की जीत।
कलुषित हृदय के मिटा शुद्ध आचरण को अपनाओ,
राम जैसा आदर्श बनो और दंभ अहंकार को भगाओ ।
खुद को निखार तभी तुम पा सकोगे राम भक्ति का वरदान,
दहन कर द्वेष कलेश ,काम क्रोध मद-मोह लोभ के विस्तार का हो क्षय,
अंतर्मन के रावण को मार हो राम राज्य, हर प्राणी सभी दिशा में सदैव रहे निर्भय ।
सदाचार और धर्म अनुरागी वही सबसे बड़ भागी,
मानवता का पाठ पढ़ाया ,दुष्टों का करने संहार हाथ बढ़ाया।
प्राण प्रतिष्ठा पर्व पर आज भज ले राम का नाम,
अहंकार को झुकाया और आदर्श बने राम।
असत्य पर सदैव होती सत्य की जीत,
असत्य का दिखावा मन का एक धोखा
दुराचारों को त्याग सदाचार से करले प्रीत।
जीवन में अन्तर्मन में जो चल रहे संग्राम,
सत्य को पहचान और उन पर लगे विराम।
सदैव भलाई जीते सबको है अनुमान,
किसी को मद में आकर नहीं सताना,
ये कह गए सीता राम।
राम राज्य (शेष भाग)
राज सिंहासन नही कबूल पिता के वचन को सृष्टि दोहराए ,
परिवार के आदर्शों को किया स्थापित भरत जैसे भाई कहलाए।
सच्चाई की राह पर चल, यही राम नाम मेरे मीत,
भौतिक दीप तो बहुत जलाएं,अंतर्मन के जलाओ दीप।
झूठी दुनियां के बंधन से,खुद को तुम अब मुक्त बनाओ।।
सच्चा भाव अगर दिल में हो तो अंतर्मन से राम को पाओ।
छल कपट का छोड़ व्यापार मानवता का हो व्यवहार,
सद्कर्म और पुरुषार्थ से व्यक्तित्व अपना ले निखार।
पावन पवित्र प्रेम निष्ठा से विदुर के साग हरी को भाए,
भक्तों की सुखी रोटी भी छप्पन भोग सी लगे सुहाए।
भाव भक्ति की ज्योति जगाओ नैतिकता का मार्ग अपनाओ।
ज्ञान चक्षु तुरंत खुल जाएं छोड़ बुराई सत्य अपनाओ।
मन में क्षमा भाव दया को लाएं प्रेम भक्ति से मन हर्षाएं।
शबरी ने मनोहर दरस किए जब राम ने प्रेम भक्ति के बेर खाएं।
*** (6) ***
नाम: कृतिका अग्निहोत्री
पति : श्री जय नारायण अग्निहोत्री
स्थान : कानपुर उत्तरप्रदेश
शैक्षिक योग्यता : परास्नातक अर्थशास्त्र, पीजीडीसीए डिप्लोमा आईटीआई प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण मेहंदी सिलाई-कढ़ाई पेंटिंग्स ब्यूटीशियन बैग मेकिंग इत्यादि हाॅबी कोर्स विद सर्टिफिकेट कंप्लीट किया है। पन्द्रह वर्षों से प्राइवेट सेक्टर में एज ए पीआरओ एवं सीआरएम पद पर कोटक महिंद्रा बैंक रिकवरी डिपार्टमेंट में कार्यरत रही । पांच वर्षों से शौकिया तौर पर लेखन कार्य आरंभ किया तीन वर्षों से निरन्तर विभिन्न साहित्यिक मंचों एवं पत्र पत्रिकाओं में लेखन जारी पार्ट टाइम फ्रीलांस राइटर हूं अब तक पांच पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं "भोर की धूप", "चंद्रमल्लिका", "नव मंजरिका", "मेहंदी रचे हाथ", "कृतिका की कहानियां" जिनमें तीन साझा संग्रह दो एकल लघुकथा संग्रह है जो ई कामर्स वेबसाईट पर बिक्री हेतु उपलब्ध हैं। मां सरस्वती की कृपा से सैकड़ों प्रशस्ति पत्र ट्रॉफी मोमेंटो इत्यादि प्राप्त हुए
शौक: घुमक्कड़ी, यायावरी जिसके चलते आधा भारत भ्रमण कर चुकीं हूं बागवानी,गायन,कुशल पाक शास्त्री भी हूं।
समाज सेवा का जज्बा रखते हुए अब तक शहर के विभिन्न स्थानों पर फल एवं छायादार वृक्षारोपण किया जिनमें पीपल गूलर बरगद जामुन आम अमरूद इत्यादि प्रमुख हैं वर्ष में तीन बार रक्तदान अवश्य करतीं हूं
अब तक सत्रह बार रक्तदान किया है हास्पिटल एवं शिविर में थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों एवं डॉक्टर्स के बीच गीतात्मक प्रस्तुति दी इसको मैं जीवन की शानदार उपलब्धि मानतीं हूं । जिसके लिए "आईएमए" की सम्मानित सदस्य हूं शहर की डीएसपी रवीना त्यागी,सतीश महाना जी से सम्मान प्राप्त हुआ।
जीवन ध्येय : "जियो और जीने दो","प्यार लो प्यार दो"
नाम : किरण सोनी
वर्तमान में मैं_राजस्व निरीक्षक_पद पर कार्यरत एवं बालोद(छत्तीसगढ़)_में निवासरत हूं।मै_बचपन से ही लिखती रही हूं।मुझे_कविताएं,कहानियां__ लिखना पसंद हैं। मेरी_एकल काव्य संग्रह__*चंद्र किरण* एवं प्रेम एक अनोखा बंधन काव्य संकलन प्रकाशित हो चुकी है इसके अलावा सहलेखका के रूप में रंग,सुनहरा सफर,पिता की याद,जय श्री राम,नर्स,मुरली मनोहर,भारत की विभिन्न त्यौहार एवं अन्य कविता संग्रहों पर रचनाएँ अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं।
बंध गया है बंधन..
अनोखा प्रीत का स्पर्श पाकर...
महक उठा है तन मन आज,
प्रणय पावन गीत गाकर....
कभी सूरज की तपिश सी...
जल जाती,
कभी शीतल चांदनी सी.....
थम जाती....
बंध गया है बंधन..
अनोखा प्रीत का स्पर्श पाकर....
रूप निखरे है पल-पल सुंदर,
नव मीत पाकर...
मन मयूर सा झूम रहा है,
प्रणय पावन गीत गाकर....
बंध गया है बंधन.....
अनोखा प्रीत का स्पर्श पाकर....
नाम: डॉ मीनाक्षी सुकुमारन
जन्म एवं जन्म स्थान:18 सितंबर , नई दिल्ली
शिक्षा- एम ए (हिन्दी), एम ए (इंग्लिश)
व्यवसाय- स्वतंत्र लेखन
प्रकाशन विवरण: निजी पुस्तकें 12 (भाव सरिता,एहसास ए अल्फाज़, बोलते एहसास, तड़प, खामोशियाँ, खामोश एहसास,कथा सेतु(कथा संग्रह),यादें कुछ खट्टी कुछ मीठी(संस्मरण संग्रह), मनके मन के, निबौरी,आपातकाल में सृजन फुलवारी, मन दर्पण, रेत सी ज़िन्दगी)
सांझा संग्रह 50 से अधिक।
नियमित रूप से अनेक समाचार पत्रों व ई पत्रिकाओं में कविता, लेख, कहानी,लघु कथा , संस्मरण आदि प्रकाशित।
रुचि : लेखन, संगीत
अनुभव : स्कूल से लेखन आरंभ जो आज तक चल रहा
आल इंडिया रेडियो दिल्ली युववाणी में अनेकों लाइव शो, साक्षात्कार आदि किए हैं।
प्राप्त सम्मान/पुरस्कार : 200 से अधिक।
मुख्य उपलब्धी : डॉक्टरेट व मानक उपाधि विक्रमशिला विद्यापीठ द्वारा।
राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी
जन्म जन्म के सोए भाग खुल जाएंगे
जीवन के भव सागर में तर जाऊँगी
राम आएंगे तो अंगना सजाऊँगी
तोरन, फूल माला,रंगोली
से पूरा घर सजाऊँगी
धूप, अगरबत्ती से महक उठेगा कोना कोना
दीपों की रोशनी से जगमगा उठेगा कोना कोना
पकवान, मिठाई, खीर, बताशा , मेवा , फल, फूल
से लगेगा भोग
होगी मंगल आरती
जन्म जन्म के सोए भाग खुल जाएंगे
जीवन के भव सागर में तर जाऊँगी
बलिहारी बलिहारी जाऊँगी
देख छवि प्यारी
राम आएंगे तो अंगना सजाऊँगी
फौजी की पत्नी
फौजी की पत्नी हूँ
नहीं इख्तियार मुझे
मिलन के गीत गुनगुनाने का
प्रीत के झूले झूलने का
चूड़ी की खनक से सजन की
रिझाने का
रुठने का मनाने का
पायल की रुनझुन से
घर आँगन चहकाने का
सिन्दूर की लाली पर
इतराने का
क्योंकि सीमा पर
कौनसी गोली पर
बिखर जाये मेरे जीवन की लड़ी
कब मैं फौजी की पत्नी से
शहीद की पत्नी कहलाऊँ
है यही तो बस किस्मत
हम फौजी की पत्नी की
हर पल बस थमी सहमी
रुकी रुकी सी रहे सासें
ऐसे में क्या भाये कोई
साज सिंगार
कोई दिन या कोई त्यौहार।।
फौजी की पत्नी हूँ मैं
कहते सभी कर गर्व
इस बात पर
कौन देखे मेरे मन की पीड़ा
जिस का नसीब सिर्फ और
सिर्फ इंतज़ार इंतज़ार
सूने सूने दिन
*** (10) ***
अयोध्या में आए मेरे राम
अयोध्या में आए मेरे राम
जग को हर्षाए मेरे राम।
युगों -युगों की प्यास को
क्षण में बुझाएं मेरे राम।
खुश है सरयू मैया आज
गली-गली में मची धूम है।
सभी खुशियां मना रहे
दीप पंक्तियां जला रहे।
फूलो सी खिली अयोध्या
नर-नारी सब गा रहे ।
बाग -बगीचे फुलवारी
नए-नए पुष्प खिला रहे।
महल कंगूरे हर्षित हुए
रामधुन सभी गा रहे ।
सूनी पड़ी अयोध्या में
राम मुस्कुराते आ रहे।
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