लखनऊ । रविवार को माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर ’आभूषण काव्यात्मक अभिव्यक्ति पटल’ द्वारा एक भव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें करीब तीस साहित्यकारों, शिक्षकों और समाजसेवियों को "अटल श्री सम्मान" देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संस्था की संस्थापिकाव रिष्ठ साहित्यकार डॉ. अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' जी द्वारा रचित कृति "मन के मोती (अलका की गीतावली) गीत संग्रह और उन्हीं के द्वारा संपादित कृति "उड़ते परिंदे" बाल कविता साझा संग्रह का लोकार्पण भी किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ. उषा सिन्हा जी, मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध गीतकार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उमाशंकर शुक्ल जी, अति विशिष्ट अतिथि पूर्व आचार्य डॉ. हरिशंकर मिश्र जी व मुख्य वक्ता, डॉ. निर्भय नारायण गुप्त 'निर्भय' एवं डाॅ. शरद पाण्डेय 'शशांक' जी रहे।
सम्मानित होने वाले सदस्य रीना राणा, डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी, रेनू लता कौल, प्रो0(डॉ0)जहां आरा, रुचि महेश्वरी 'रुचिरा', विजय सोनकर, डॉ. राजेन्द्र साहिल, डॉ. रणजीत जीवन कौर, श्रीकांत तैलंग, डॉ. आनंदेश्वरी अवस्थी, गरिमा श्रीवास्तव, मगनेश्वर नौटियाल "बट्वै", खुशी गुप्ता, डॉ.वंदना पाण्डेय, अनुज कुमार आचार्य, डॉ. अनुराधा पांडेय 'अन्वी', रीतू वर्मा, डॉ. मंजु बडोला , डॉ. राम किशोरी सिंह, साधना त्रिपाठी "इन्दुप्रिया", डॉ. अर्चना प्रकाश, अमिता सचान, ऋतु श्रीवास्तव, डॉ.आर.के.मतंग, कंचन लता पाण्डेय, प्रज्ञा शर्मा 'गार्गी' आदि उपस्थित रहे।
"अटल श्री सम्मान" से सम्मानित साहित्यकारों को संस्था द्वारा शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया साथ ही उन्हें ट्राफीज, प्रमाण पत्र एवं पुष्प माला अर्पित की गईं।
संस्था की संस्थापिका डॉ. अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' जी ने बताया कि इससे पहले भी संस्था द्वारा 10 दिसंबर 2022 को प्रथम ऑफलाइन कार्यक्रम 'एकाक्षर स्तवन' के विमोचन कार्यक्रम में 25 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया था और 2023 में कई भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। उन्होंने कहा कि संस्था मात्र एक साल में कुल 130 साहित्यकारों को सम्मानित कर स्वयं को गौरवांवित महसूस करती है।
उल्लेखनीय है कि संस्था की संस्थापिका विद्या वाचस्पति सारस्वत और विद्या सागर सम्मान प्राप्त डॉ अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' स्वयं एक वरिष्ठ कवयित्री, साहित्यकार एवं संपादक हैं। अब तक उनके संपादन में 9-10 पुसतकें प्रकाशित हो चुकी है, और साथ ही उनका 1 उपन्यास,1 गीत संग्रह एकल भी प्रकाशित हो चुका है।
हिन्दी के प्रचार प्रसार में जी जान से समर्पित 'प्रियदर्शिनी' जी विशेष रूप से नवोदित लेखकों और कवि/कवयित्रियों को मंच प्रदान कर आगे बढाने का कार्य सुचारू रूप से कर रही हैं और आगे भी इसी तरह के कार्यक्रमों के लिए प्रयासरत हैं।
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