अमित जी आज अपनी पत्नी ऋतु और बेटा बेटी के साथ अपने ऑफिस में सहकर्मी और घनिष्ठ मित्र मिश्रा जी के घर पर उनकी वैवाहिक वर्षगांठ की पंद्रहवीं सालगिरह में उपस्थित थे। ऑफिस के दूसरे सहकर्मी और मिश्रा जी के कई रिश्तेदार पार्टी को खूब एंजॉय कर रहे थे।
हंसी मजाक, मौज मस्ती में पता ही नहीं चला कि रात के दस बजे हैं। सबसे विदा लेकर अमित जी जाने लगे, ऋतु से बच्चों को लेकर आने के लिए कहा बेटा रोहित तो आ गया लेकिन 4 साल की रेशू नहीं दिख रही थी।
सबसे पूछा पर रेशू घर में नहीं थी। सब लोग बाहर आ कर रेशू को ढूंढने लगे। तभी किसी की नज़र बगल वाले खाली प्लॉट पर गई, उस ओर टॉर्च की लाइट डाल कर देखा तो रेशू वहां अकेली बैठी थी। सब भाग कर उधर गए, अमित ने बेटी को उठाया और सबके बीच ले आया।
रेशू से पूछा कि इतने अंधेरे में वो अकेली वहां क्या कर रही थी लेकिन रेशू ने कोई जवाब नहीं दिया। रेशू नींद में थी। अमित पत्नी, बेटे और बेटी के साथ कार में बैठ कर घर पहुंचे, तब तक रेशू गहरी नींद में आ चुकी थी।
अगले दिन अमित जब शाम को ऑफिस से निकलने वाले ही थे, ऋतु का फोन आया, आवाज़ से बहुत घबराई हुई लग रही थी, उसने बताया कि रेशू खेलने गई थी लेकिन घर नहीं लौटी। किसी बच्चे को उसका कोई पता नहीं।
अमित बदहवास हालत में जल्दी से घर पहुंचा। समझ नहीं आ रहा था रेशू को कहां ढूंढें। तभी मिश्रा जी की पत्नी का फोन आया, ”भाई साहब रेशू हमारे घर पर है, कुछ देर पहले मैं बाहर गई तो बगल वाले प्लॉट पर उसे बेहोश हालत में देखा तो अपने घर ले आई और आपको फोन किया।
अमित और ऋतु जल्द से जल्द मिश्रा जी के घर पहुंचे। तब तक रेशू होश में आ चुकी थी। अमित ने रेशू से पूछा कि वो यहां कैसे आ गई तो रेशू अमित का हाथ पकड़ कर उसी प्लॉट पर जा कर एक जगह खड़ी हो गई। अमित ने पूछा कि यहां क्यों ले कर आई हो हमें।
रेशू ने नीचे इशारा करते हुए कहा, ”मुझे यहां से बाहर निकालो पापा, मुझे यहां मार कर गाढ़ा गया है। मेरा दम घुट रहा है।"
”तुम्हे कोई कैसे मार सकता है बेटा, तुम तो ज़िंदा हमारे साथ खड़ी हो?”
"पापा मुझे बगल वाले मकान के डॉक्टर शरद सक्सेना और उसकी प्रेमिका आलिया ने गला दबा कर मारा और यहां दबा दिया है।”
नन्ही रेशू की बातें सुन कर सब हैरान थे। अमित ने मिश्रा जी से पूछा कि बगल वाले मकान में कौन रहता है तो पता चला वहां डॉक्टर शरद और उसकी पत्नी आलिया ही रहते हैं।
अमित ने सबकी राय ले कर पुलिस को फोन करके बुलाया और सारी बात बताई। रात को ही उस जगह खुदाई हुई तो एक महिला का कंकाल निकला।
फिर क्या था पुलिस ने आनन फानन में डॉक्टर शरद और उसकी पत्नी को मकान में ही बने उनके क्लिनिक से गिरफ्तार कर लिया।
उस इलाके के थाने में 4 साल पहले डॉक्टर शरद ने अपनी पत्नी वंदना की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। काफी छानबीन के बाद भी वंदना का कोई पता न चलने पर फाइल बंद हो चुकी थी। आज इस हादसे के बाद सब साफ था।
© पुनीत माथुर ’परवाज़’
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