देहरादून : शुभांगी। मंगलवार 25 जुलाई। श्री देव सुमन जैसे महापुरुष कभी-कभी पृथ्वी पर जन्म लेते हैं, उनके अविस्मरणीय बलिदान को युगों तक भुलाया नहीं जा सकता है।
उपरोक्त विचार सहायक निदेशक शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने व्यक्त किए। वह आज राजकीय प्राथमिक विद्यालय सारथी बिहार में श्रीदेव सुमन बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
सहायक निदेशक ने कहा कि तत्कालीन समय में टिहरी रियासत की गुलामी के प्रति आवाज उठाना बहुत बड़ी बात थी और 40 दिन तक भूख हड़ताल करके शहीद हुए श्री देव सुमन ने इस देवभूमि उत्तराखंड में जन्म लेने का कर्ज बखूबी चुकाया। उनके इस ऋण को हम जन्मों तक लौटा तो नहीं सकते हैं। परंतु ऐसे महापुरुष के बलिदान दिवस पर उनका स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि देकर उनके प्रति कृतज्ञता जाहिर कर रहे हैं। उन्होंने आह्वान किया कि प्रदेश के नौनिहालों को यहां के बलिदानी पुरुषों के इतिहास से रूबरू कराना शिक्षण संस्थाओं की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
इस अवसर पर सहायक निदेशक डॉक्टर घिल्डियाल ने श्रीदेव सुमन के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उनके नाम पर विद्यालय में स्टाफ एवं बच्चों के साथ मिलकर वृक्षारोपण भी किया।
विद्यालय में पहुंचने पर प्रधानाचार्य कविता मैथानी ने विद्वान अधिकारी डॉक्टर घिल्डियाल का पूरे स्टाफ सहित स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे विशेष दिवस पर अधिकारियों के आने से विद्यालय स्टाफ एवं बच्चों का मनोबल ऊंचा होता है।
वृक्षारोपण कार्यक्रम में संस्कृत भारती की वरिष्ठ कार्यकर्ता डॉ बबीता मैथानी, शिक्षिका दिव्या जोशी, सविता, शैलजा, करुणापति, नेहा आदि उपस्थित रहे।
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