देहरादून : बृजेश श्रीवास्तव। शुक्रवार 2 जून। देवभूमि उत्तराखंड में संस्कृत के विकास के लिए ऐसी ठोस नीति बनायी जाय, जिससे सभी को लाभ मिल सके और लोग संस्कृत को सहज भाव से पढ सकें। ये कहना है उत्तराखंड विधान सभा की संस्कृत प्रोत्साहन समिति के सभापति भरत चौधरी का।
चौधरी गुरूवार को विधान सभा में समिति की बैठक, संस्कृत शिक्षा की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत तभी ही जन-जन तक पहुंच सकती है जब इसका उपयोग सहज हो।
समिति के सभापति भरत चौधरी ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि संस्कृत विनियम 2023 के अनुसार समस्त पदों में नियुक्ति शीघ्र की जाय। अनुदानित संस्कृत विद्यालयों का प्रान्तीयकरण की सम्भावना को तलाशा जाय। उत्तराखण्ड की समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं में संस्कृत के प्रश्नों को सम्मिलित किया जाय।
सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने सदन में माध्यमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक भाषा के बजाय संस्कृत का अलग से पद सृजित करने एवं सभी शासकीय एवं अशासकीय हाई स्कूल एवं इंटर कॉलेजों में सहायक अध्यापक संस्कृत के साथ-साथ प्रवक्ता संस्कृत के पदों को सृजित करने की मांग जोरदार ढंग से उठाई। उन्होंने कहा कि अफसोस की बात है कि वर्ष 2010 से जिस संस्कृत को राज्य की द्वितीय राजभाषा बनाया गया है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान वाले इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता संस्कृत का पद ही सृजित नहीं किया गया है।
डॉ घिल्डियाल ने इसके लिए शासन स्तर पर एक कमेटी गठित कर शीघ्र शासनादेश जारी करने की बात रखी। उन्होंने यह भी कहा कि शासन स्तर पर संस्कृत के उन्नयन के लिए संस्कृत को विशिष्ट शिक्षा के रूप में विचार किया जाना चाहिए। संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पदों का सृजन छात्र संख्या के आधार पर नहीं अपितु विषयों के आधार पर किया जाना चाहिए। क्योंकि संस्कृत की आवश्यकता अन्य विभागों से अलग है इसलिए तदनुरूप नीति बनायी बनाई जानी चाहिए। उन्होंने सदन को जानकारी दी कि संस्कृत शिक्षा निदेशालय की निर्धारित भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराये जाने के लिए उन्होंने जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को जांच आख्या सौंप रखी है। उस पर जिला प्रशासन से कार्यवाही अपेक्षित है। उन्होंने यह भी कहा कि विगत 1 वर्ष में संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत के मार्गदर्शन में संस्कृत के छात्रों को बड़ी मात्रा में छात्रवृत्ति एवं 2017 से बिना विनियम के चल रहे विभाग को विनियम जारी किया जाना बड़ी उपलब्धियां हैं।
बैठक में संस्कृत शिक्षा उत्तराखण्ड के निदेशक एसपी खाली ने विभाग की समस्त गतिविधि, उपलब्धि एवं वर्ष 2023-2024 की योजनाओं से सदन को अवगत कराया। बताया कि विभाग में संस्कृत की बेहतरी के लिए क्या-क्या किया जा रहा है।
सभापति भरत चौधरी की अध्यक्षता में समिति सदस्य विधायक सविता कपूर, दुर्गेश्वर लाल, भूपेशराम टमटा, किशोर उपाध्याय तथा उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दिनेश चन्द्र शास्त्री, शासन के उपसचिव प्रदीप मोहन नौटियाल, संस्कृत शिक्षा उत्तराखण्ड के निदेशक एस पी खाली, समिति के कार्य अधिकारी नीरज कुमार गौड, उपनिदेशक डॉ चण्डीप्रसाद घिल्डियाल, विधानसभा के अनुभाग अधिकारी राजेंद्र राठौर, उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के शोध अधिकारी डॉ हरीशचन्द्र गुरुरानी उपस्थित रहे।
Post A Comment: