देहरादून : बृजेश श्रीवास्तव। बुधवार 10 मई। सहायक निदेशक शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने आज राजपुर रोड स्थित सीएनआई गर्ल्स इंटर कॉलेज का औचक निरीक्षण किया। वे सुबह 9:00 बजे विद्यालय में पहुंचे और जानना चाहा कि द्वितीय राजभाषा संस्कृत के पठन-पाठन की व्यवस्था क्या है तथा प्रवेश शुल्क एवं एनसीईआरटी की पुस्तकों की क्या व्यवस्था है।
प्रधानाचार्य वी मार्टिन ने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप द्वितीय राजभाषा संस्कृत को आठवीं तक अनिवार्य रूप से पढ़ाया जा रहा है। जबकि नौवीं से बारहवीं तक संस्कृत भाषा को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। उसके लिए विभागीय वेतन पर एलटी ग्रेड में के गोयल एवं प्रवक्ता संवर्ग में मेजर ए गुप्ता कार्यरत हैं। प्रवक्ता संस्कृत ही विद्यालय में सीनियर एनसीसी अधिकारी भी हैं। इसलिए उन्हें मेजर की उपाधि प्राप्त है।
प्रधानाचार्य ने बताया कि इस समय विद्यालय में कक्षा 6 से बारहवीं तक कुल 350 -छात्राएं अध्ययनरत हैं। जिसमें 70 छात्राएं संस्कृत विषय पढ़ रही हैं। छात्राओं को समय-समय पर विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न साहित्य एवं संस्कृति संबंधी प्रतियोगिताओं में भी प्रतिभाग कराया जाता है।
सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने विद्यालय की व्यवस्थाओं मे मध्यान्ह भोजन व्यवस्था को भी देखा। जिसमें अक्षय पात्र से बच्चों को भोजन का विधिवत सफाई से वितरण हो रहा था। विद्यालय में शिक्षण कार्य एवं अन्य गतिविधियां संतोषजनक पाई गई।
संपर्क करने पर सहायक निदेशक ने बताया कि सन 1859 में इस विद्यालय की स्थापना चर्च के नियमों के तहत "मेरी लुईस ब्राउनिंग हिरण" ने की थी। डॉक्टर घिल्डियाल ने बताया कि संस्कृत छात्र प्रतियोगिताओं का संयोजक रहते हुए वर्ष 2013 में इस विद्यालय में उन्होंने जनपद स्तर की प्रतियोगिताएं संपन्न कराई थी और ईसाई अल्पसंख्यक संस्था होने के बावजूद इस विद्यालय में द्वितीय राजभाषा संस्कृत का विधिवत पठन-पाठन संतोषजनक ढंग से हो रहा है।
इस अवसर पर प्रवक्ता आर एम सिंह, एस सिंह, सहायक अध्यापिका दिलावर, एल सिलवानो आदि उपस्थित रहे।
विद्यालय स्टाफ की बैठक लेते हुए सहायक निदेशक डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा कि भारत की प्रतिष्ठा के मूल में यहां की संस्कृति है। लंबे समय तक गलत इतिहास पढ़ाए जाने से बच्चों के मन में राष्ट्रप्रेम का जो भाव हम नहीं जगा पाए। अब उसका प्रयास नई शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्र के प्राचीन गौरव एवं सांस्कृतिक धरोहर का ज्ञान देकर किया जा रहा है। जिसका पालन सभी को करना आवश्यक है।
उन्होंने विद्यालय की पठन-पाठन व्यवस्था, विद्यालय अनुशासन, साफ सफाई एवं किचन गार्डन को अनुकरणीय बताते हुए प्रधानाचार्य सहित विद्यालय परिवार को नए शिक्षा सत्र के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।
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