नई दिल्ली : बृजेश श्रीवास्तव। देश के छोटे-छोटे मंदिरों के पुजारियों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के अभियान में जुटी सामाजिक संस्था "संस्कृति संज्ञान" ने श्रीरामचरितमानस का नियमित पठन-पाठन करने वाले दिल्ली के पुजारियों को सम्मानित किया। संस्था का प्रयास है कि जिस तरह केंद्र व राज्य सरकारें मस्जिदों के इमामों और चर्च के पादरियों को मासिक भत्ता दे रही हैं। उसी तरह देशभर के पुजारियों को सम्मानजनक जीवन-यापन हेतु सरकार की तरफ से हर महीने धनराशि दी जाए।
इस अवसर पर दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित श्री शिव मंदिर में संस्कृति संज्ञान द्वारा आयोजित कार्यक्रम "भारतीय समाज में पुजारियों की दशा एवं दिशा" पर बोलते हुए विशिष्ट अतिथि एवं ब्रज कला केंद्र के संस्थापक विष्णु गोयल ने कहा कि दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में ऐसा ही एक बड़ा कार्यक्रम होगा। इसके बाद पूरे प्रदेश में कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।
इस अवसर पर बोलते हुए कैलाश मानसरोवर निष्काम सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय कौशिक ने कहा कि जिस तरह सिख समाज के लोग गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुद्वारों में रखकर सम्मान के साथ पूजते हैं, देश के पुजारियों को चाहिए कि वे मंदिरों में श्रीरामचरितमानस को प्रतिष्ठित करके पूजें और लोगों को इसका नियमित पाठ करने के लिए प्रेरित करें। अगर ऐसा होता है तो समाज को सही दिशा मिलेगी और भारत विश्वगुरू के रूप में जल्द ही अपनी प्रतिष्ठा को स्थापित करेगा।
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर पीके सिंघल ने कहा कि पुजारियों के उत्थान के लिए हमने जो संकल्प लिया है, उसे पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को ज्ञापन दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि संस्था का प्रयास है कि संस्कृति मंत्रालय के तहत एक धर्मार्थ कार्य विभाग बने जो छोटे-छोटे मंदिरों के पुजारियों के हितों की रक्षा करे।
कार्यक्रम में संस्कृति संज्ञान के संरक्षक वासुदेव गर्ग चेयरमैन एवं पूर्णकालिक डायरेक्टर केएमजी मिल्क फूड लिमिटेड, संतोष तनेजा वरिष्ठ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक एवं संस्थापक संकल्प आईएएस एकेडमी, संजय श्रीवास्तव आईएएस सेवानिवृत्त, श्रीकांत नामदेव निदेशक वित्तीय सेवाएं विभाग, भारत सरकार एवं विपिन गुप्ता प्रधान संपादक नेशनल एक्सप्रेस, संस्था के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरसी बंसल एवं महामंत्री संजय राय और अन्य पदाधिकारियों सहित सैकड़ों पुजारी उपस्थित रहे।
इसके अलावा समाज के अनेकों डॉक्टर, इंजीनियर, उद्योगपति एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में विशेष रूप से निम्न बिंदुओं पर चर्चा की गई: -
1) हमारे समाज में भारतीय संस्कृति और धर्म में आस्था दिन-प्रतिदिन कम हो रही है।
2) इसका प्रमुख कारण हमारे परिवारों में सनातन धर्म के धर्म ग्रंथों जैसे रामचरितमानस इत्यादि का पठन-पाठन बहुत ही कम हो गया है।
3) भारतीय सनातन संस्कृति और धर्म में आस्था को पुनर्जीवित करने का कार्य, समाज के छोटे-छोटे मंदिर के पुजारी और वह पुजारी जो घर से पूजा पाठ कर आ रहे हैं, कर सकते हैं।
4) इसके लिए यह जरूरी है की सर्वप्रथम इन पुजारियों की आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति में आवश्यक सुधार लाए जाएं। इसके लिए संस्था ने 3 सूत्रीय कार्यक्रम चलाया है जो इस प्रकार है।
i.सनातन संस्कृति के पुजारियों को केंद्र और राज्य सरकारें मासिक भत्ता दें।
ii.भारतवर्ष के व्यापारियों से अनुरोध किया गया है कि वह अपने द्वारा दिए जाने वाले दान के एक हिस्से को इन छोटे-छोटे मंदिर के पुजारियों के लिए निर्धारित करें।
iii.संस्कृति संज्ञान संस्था का सभी आदरणीय पुजारियों से अनुरोध है कि वह अपने यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं को रामचरितमानस का पाठ करने के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से न केवल समाज में सनातन संस्कृति और धर्म के प्रति आस्था बढ़ेगी वरन समाज की आस्था हमारे इन पुजारियों में भी बढ़ेगी जिससे कि पुजारियों की आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक स्थिति में भी सुधार आएगा, पुजारी आत्मनिर्भर बनेंगे।
कार्यक्रम में आए व्यापारियों द्वारा यह सुझाव दिया गया कि जो भी पुजारी 108 या उससे ज्यादा श्रद्धालुओं को रामचरितमानस पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे उनको व्यापारियों द्वारा दी जाने वाली सहायता में प्राथमिकता दी जाएगी। इस अवसर पर सभी पुजारियों एवं अतिथिगण ने परिवारों को श्रीरामचरितमानस पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके समाज में भारतीय संस्कृति और धर्म को समाहित करने का संकल्प लिया।
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