शिक्षिका, गायिका, लेखिका और युवा कवयित्री लिऔना एवा आनंद जी
'राम' यह शब्द दिखने में जितना सुंदर है उससे कहीं महत्वपूर्ण है इसका उच्चारण। राम कहने मात्र से शरीर और मन में अलग ही तरह की प्रतिक्रिया होती है जो हमें आत्मिक शांति देती है। हिन्दू धर्म के चार आधार स्तंभों में से एक है प्रभु श्रीराम। भगवान श्री राम ने एक आदर्श चरित्र प्रस्तुत कर समाज को एक सूत्र में बांधा था। भारत की आत्मा है प्रभु श्रीराम।
प्रभु श्री राम के अनुकरणीय चरित्र को बहुत सुंदर शब्दों में आज प्रस्तुत कर रही हैं ग़ाज़ियाबाद की युवा कवयित्री लिऔना एवा आनंद जी अपनी इस रचना में जिसका शीर्षक है, ”जय जय हो मेरे राजा राम”...
हे राघव पुरुषोत्तम राम,
पाप हरो सब राजा राम,
पीतांबर धारी परम मनोहर,
सिद्ध करो हम सबके काम,
अनुपम शौर्य संपन्न वीर तुम,
शाप-ताप हरने वाले,
संपूर्ण यज्ञ के स्वामि तुम,
जीवन मृत्यु से रहित करो,
श्री राम मेरे सत्यव्रत भी तुम,
सतगुण का आश्रय मिल जाए ,
हे पितृ भक्त वरप्रद भी तुम,
लोभ वृत्ति को परास्त करो,
हे रघुकुल श्रेष्ठ हे विजय शील,
जीतेंद्रीय बने हम वरदान दो,
तेरा हम सुमिरण करते हैं,
वृत्त का फल दो हे त्रयी मेरे,
हे आदि पुरुष हे महासार,
हे परम धनुर्धर परमात्मा,
करते हम छवि में तेरी रमण,
तुम विद्यमान हो जन-जन में,
🙏🏻जय श्री राम🙏🏻
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