देहरादून : बृजेश श्रीवास्तव। सोमवार 24 अप्रैल। जब भी कोई बड़ा ग्रह राशि परिवर्तन करता है तो सौरमंडल में हलचल प्रारंभ हो जाती है और उसका असर पृथ्वी लोक पर रहने वाले प्राणियों पर पूर्ण रुप से दिखाई देता है।
उपरोक्त कथन है उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल का जो उन्होंने सौरमंडल में देव गुरु बृहस्पति के राशि परिवर्तन पर व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि 22 अप्रैल को प्रातः 5:14 पर सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह देव गुरु बृहस्पति ने मीन राशि से मेष राशि में राशि परिवर्तन कर लिया है जहां पर सूर्य, बुध एवं राहु ग्रह पहले से विराजमान हैं।
अपनी सटीक भविष्यवाणियों के लिए अंतरराष्ट्रीय जगत में प्रसिद्ध आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल विस्तृत व्याख्या करते हुए बताते हैं कि बृहस्पति के राशि परिवर्तन से पृथ्वी लोक पर राजनीतिक, प्रशासनिक एवं प्राकृतिक उथल-पुथल के योग बन रहे हैं। बताया कि देव गुरु बृहस्पति 3 सितंबर 2023 तक इसी स्थिति में रहेंगे, 4 सितंबर को वक्र गति से फिर से मीन राशि में आएंगे और 30 दिसंबर तक वहां पर रहकर 31 दिसंबर को फिर से मेष राशि में जाकर 8 अप्रैल 2024 तक वहीं पर संचरण करेंगे।
एक वर्ष के इस समय अंतराल में से अधिकतम समय सीमा में वह राहु के साथ रहकर गुरु चांडाल योग बनाएंगे। जिससे राजनीति मे बड़ा उलटफेर हो सकता है। अप्रत्याशित रूप से किसी को राजगद्दी मिल सकती है, तो किसी के सिर का ताज हट सकता है। साथ ही ऊंचे प्रशासनिक पदों पर बैठे लोगों की किस्मत का सितारा भी इधर-उधर हो सकता है। इसलिए इन लोगों को बहुत सावधान होकर ज्योतिषीय मार्गदर्शन में चलने की आवश्यकता है। प्राकृतिक उथल-पुथल से सरकारी अमला परेशान होगा। परंतु जनता से जुड़े मामलों में प्रदेश एवं केंद्र की सरकार जनता का विश्वास जीतने में सफल रहेगी।
श्रीमद् भागवत व्यास गद्दी से देश एवं विदेशों में 700 से अधिक भागवत कथाएं करने के बाद राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित होकर शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों में भी सहायक निदेशक के रूप में अल्प समय में ही अपना प्रशासनिक कौशल सिद्ध करने वाले डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि देव गुरु बृहस्पति के राशि परिवर्तन से सभी राशियों पर निम्नलिखित प्रकार से असर पड़ेगा।
उन्होंने आगाह किया है कि जिस प्रकार मौसम विज्ञान लोगों को मौसम संबंधी पूर्व जानकारी देकर सतर्क कर देता है और लोग कई मुसीबतों से बच जाते हैं। ठीक उसी प्रकार लोग अपनी कुंडली एवं हस्त रेखाओं एवं वास्तु का विश्लेषण करवा कर मार्गदर्शन समय पर प्राप्त करके बुरे समय को भी अच्छे समय में बदल सकते हैं।
मेष राशि: - देवगुरु के लग्न में आने से उनकी दृष्टि पंचम एवं नवम स्थान पर रहेगी जो इस राशि के जातकों को इस समय अंतराल में बुलंदियों पर पहुंचा सकती है ,बशर्ते कुंडली में देव गुरु की स्थिति ठीक होनी चाहिए संतान, विवाह, कैरियर के लिए यह समय स्वर्ण काल के समान रहेगा।
वृषभ राशि: - बारहवें भाव में देव गुरु बृहस्पति रहने से विदेशों से लाभ धर्म प्रवचन ,ज्योतिष एवं अपना व्यवसाय में कार्य कर रहे लोगों को लाभ परंतु स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव की संभावना रहेगी।
मिथुन राशि: - राशि के जातकों को इस समय अंतराल में सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे यदि देवगुरु की स्थिति कुंडली में ठीक ना हो तो उसका उपचार अवश्य करवा ले।
कर्क राशि: - यह समय अंतराल बहुत अच्छा गुजरेगा परंतु स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा और दुश्मनों से सतर्क रहने की आवश्यकता है।
सिंह राशि: - इस राशि के जातकों के लिए अद्भुत राजयोग का निर्माण हो रहा है, इसलिए इस समय का फायदा अवश्य उठाएं।
कन्या राशि: - इस राशि के जातकों के मारक स्थान में देव गुरु का आना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है, परंतु अन्य कार्यों में सफलता मिलेगी।
तुला राशि: - धन, पद ,प्रतिष्ठा की प्राप्ति के लिए समय उत्तम रहेगा, दांपत्य जीवन में संबंधों को लेकर सावधानी रखनी जरूरी है।
वृश्चिक राशि: - पंचम स्थान का स्वामी होकर बृहस्पति का छठे स्थान में जाना संतान संबंधी सुख में बाधा पैदा करेगा परंतु धन, पद, प्रतिष्ठा संबंधी कार्यों में सफलता मिलेगी।
धनु राशि: - इस राशि के जातकों के बिगड़े हुए कार्य बनेंगे राज्य पद की प्राप्ति हो सकती है, कोर्ट कचहरी के मामले का निर्णय पक्ष में हो सकता है।
मकर राशि: - इस राशि के जातकों के लिए चतुर्थ स्थान में देवगुरु रहेंगे इसलिए माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा परिवार में प्रॉपर्टी संबंधी विवाद हो सकते हैं, सावधानी रखनी होगी।
कुंभ राशि: - तीसरे स्थान में बृहस्पति के रहने से आत्मविश्वास बढ़ा रहेगा उच्च पद की प्राप्ति हो सकती है, छोटे और बड़े भाइयों के लिए बहुत अच्छा योग बन रहा है।
मीन राशि: - इस राशि के स्वामी होकर देव गुरु बृहस्पति का दूसरे स्थान में पहुंचना धन पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति के लिए उत्तम समय रहेगा, दांपत्य जीवन में सावधानी अपेक्षित है।
मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर जीवन की सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रसिद्ध आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल का कहना है कि गोचर के दुष्प्रभाव से बचे रहने के लिए लोगों को चाहिए कि समय पर कुंडली का विश्लेषण करवा कर अपने ऊपर पड़ने वाले गलत प्रभाव को अच्छे प्रभाव में बदलने का ठीक इस प्रकार प्रयास करें। जैसे बारिश होने पर छाता रखा जाता है, तो हम बारिश को तो नहीं बदल सकते हैं परंतु अपनी रक्षा तो कर ही सकते हैं।
आचार्य का परिचय: -
नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल।
पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता, वर्तमान में सहायक निदेशक शिक्षा विभाग उत्तराखंड सरकार।
निवास स्थान- 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड।
मोबाइल नंबर-9411153845
उपलब्धियां: -
वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित, वर्ष 2016 में लगातार सटीक भविष्यवाणियां करने पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान से सम्मानित किया, वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ। शिक्षा एवं ज्योतिष क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर लोगों की समस्त समस्याओं का हल करने की वजह से वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान। दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोबारा दिया उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान।
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