बिहार राज्य आज 111 वर्ष का हो गया। बिहार का गठन 22 मार्च 1912 को हुआ था लेकिन 22 मार्च को ’बिहार दिवस’ के रूप में मनाने का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2010 से बड़े पैमाने पर हर साल 22 मार्च को ’बिहार दिवस’ मनाना शुरू किया।
बिहार भारत के बहुत ही महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है। आज देश और दुनिया में बिहारियों ने अपने राज्य के नाम का डंका बजाया हुआ है।
’बिहार दिवस’ के अवसर पर आज प्रस्तुत है चंपारण की युवा कवयित्री, शिक्षिका एवं समाजसेवी प्रियंका झा जी की ये बहुत सुंदर रचना जिसका शीर्षक है ’मैं बिहार हूं’....
अंगिका,मैथिली, मगही,भोजपुरी का सार हूँ ,
मैं ही गुरू गोविंद सिंह की तलवार हूँ ।
विक्रमशिला का खंडहर और रेशम का तार हूँ,
मैं ही क्षीरसागर के समुद्र मंथन का मंदार हूँ।
मैं बिहार हूँ...हां मैं बिहार हूँ !
तिलकामांझी का तीर भी मैं
और दशरथ मांझी का पीर हूँ ,
समझने वाले समझ सके तो बूढे कुँवर सा वीर हूँ ।
शूरवीरों का बल और अशोक का धम्म हूँ
विश्व के पहले गणराज्य वैशाली का स्तम्भ हूं ।
मैं बिहार हूँ...हां मैं बिहार हूँ !
कर्ण का अंग और मगध का चंद्रगुप्त महान हूँ,
महावीर से बुद्ध तक सबकी मैं पहचान हूँ ।
रेणु का "मैला आँचल" और
देवकीनंदन की "चंद्रकांता " हूँ ,
मैं ही भिखारी ठाकुर के "विदेशिया" का संवाद हूँ।
मैं बिहार हूँ...हां मैं बिहार हूँ !
विद्यापति के "पदावली" से वेनिपुरी की "आम्रपाली" हूँ,
गोपाल की "रागिनी " से नागार्जुन का "युगधारा" हूँ
चाणक्य का "अर्थशास्त्र" और नालंदा का "सूत्रधार" हूँ ,
आर्यभट्ट का शून्य और तथाकत अवतार हूँ ।
मैं बिहार हूँ...हां मैं बिहार हूँ !
राजेन्द्र बाबू का तेज हूँ,
बिस्मिल्लाह की तान हूँ,
मैं भारती का सारथी और सारा हिन्दुस्तान हूँ,
जयप्रकाश की शंखनाद और दिनकर का हुंकार हूँ
उगता सूरज दुनिया पूजे मैं डूबते का भी हकदार हूँ
मैं बिहार हूँ...हां मैं बिहार हूँ !
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