आदरणीय कायस्थ बंधुओं,

वर्तमान परिस्थिति में कायस्थ समाज के हजारों संघठन कश्मीर से कन्याकुमारी तक गठित हो चुके हैं। लेकिन 1887 में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा का गठन किया गया। यह देश का पहला जाति संगठन था जिसके माध्यम से आजादी की लड़ाई लड़ी गई। राष्ट्र के गौरव का इतिहास रचा गया। इस संघठन के माध्यम से देश में राजनीतिक चेतना को जागरूक करने का कार्य था। लेकिन अफसोस है वर्तमान परिस्थिति में कई हजार संघठन कायस्थ समाज के गठित हो चुके हैं। अगर देखा जाए तो समाज में इतने वरिष्ठ नेता हो गए हैं, अगर सभी लोग प्रयास करते तो आज उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तरांचल, हरियाणा सहित सभी राज्यों में कायस्थ समाज के कई विधायक, सांसद, मंत्री होने चाहिए थे। लेकिन ज्यादातर संघठन मेहंदी प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, वैवाहिक परिचय सम्मेलन जैसे कार्यक्रमों में उलझे हुए हैं। 

जो हमको राजनीतिक सोच रखनी चाहिए वह खत्म हो गई है। आज आवश्यकता है कि हम लोग राजनीतिक रूप से जब तक मजबूत नहीं होंगे तब तक कायस्थ समाज आर्थिक, सामाजिक, व्यवहारिक रूप से खत्म हो जाएगा। इसलिए राजनीतिक पटल पर आने की आवश्यकता है। जब तक हम लोग राजनीतिक रूप से मजबूत नहीं होंगे तब तक कायस्थ समाज को आगे नहीं लाया जा सकता। संघठनों में सदस्यता शुल्क हजारों, लाखों रुपए में शुरू हो गई है। लेकिन राजनैतिक पकड़ इतनी भी नही कि किसी को पार्षद की टिकट भी किसी दल से दिलवा दे। इसलिए आम कायस्थ संघठनों से नहीं जुड़ पा रहा है। इन परिस्थितियों को देखते हुए हमें संकल्प लेना है कि हम राजनीतिक रूप से मजबूत हों। अखिल भारतीय स्तर पर एक ऐसा संघठन खड़ा करें जिसमें सभी अपने उन कायस्थ बंधुओं को जोड़ा जाए जो नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम, जिला पंचायत, ब्लॉक, विधानसभा, लोकसभा स्तर पर राजनीति कर रहे हैं। लेकिन कायस्थ समाज के संघठनों द्वारा उनको सहयोग नहीं मिल पा रहा है। इसलिए शीघ्र ही कायस्थ समाज का एक ऐसा संघठन खड़ा किया जाएगा जिसमें सिर्फ राजनीतिक सोच के लोगों को रखा जाएगा तथा कायस्थ समाज के उन वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं व जिन्होंने राजनीतिक कायस्थ दलों का गठन किया है, उनसे तालमेल बनाकर इस संघठन को मजबूत बनाने के लिए कार्य किया जाएगा।

मैं आप सभी लोगों से अनुरोध करता हूं आज के युग में कायस्थ समाज में बेरोजगारी का मूल कारण हमारे समाज के राजनीतिक लोगों का सत्ता में ना पहुंचना है। वर्तमान में दलितों, पिछड़ों व अन्य जातियों पर विचार किया जा रहा है और उनकी बात कही जा रही है। लेकिन कायस्थ समाज के बारे में कोई योजनाएं नहीं बना रहे हैं। हम लोग यह प्रण लेते हैं जो संघठन मेहंदी प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, वैवाहिक परिचय सम्मेलन करा रहे हैं उनको अपना काम करने दें। वह अपना सामाजिक कार्य कर रहे हैं। हम लोगों को राजनीतिक कार्य करना है। हम राजनीतिक रूप से मजबूत हों। आगामी 2024 में राजनीतिक दलों को पता लगे कि कायस्थ समाज का एजेंडा अपने आप को राजनीतिक रूप से मजबूत करने का है। शीघ्र ही लखनऊ में एक विशाल सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा जिसमें संघठन व उसके कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी।

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