नई दिल्ली: (एनएलटी स्पेशल डेस्क) आज हम आपको वाइन से जुड़ी ऐसी बात बताने जा रहे हैं जो आपने नोटिस तो की होगी पर कारण नहीं जानते होंगे। आपने गौर किया होगा कि वाइन की बोतलें आमतौर पर 750 मिलीलीटर की होती हैं, 1 लीटर या 500 मिलीलीटर के राउंड फिगर में उन्हें नहीं बनाया जाता। चलिए इसका कारण जानते हैं।
बिज़नेस स्टैंडर्ड न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार कांच की बोतलें रोमन एंपायर में पहली शताब्दी के वक्त से ही प्रचलन में थी मगर तब वो बेहत महंगी थीं इसलिए आम लोग उसका इस्तेमाल नहीं कर पाते थे। 18वीं सदी तक ग्लास बोतल आम लोगों के घर तक पहुंचने लगा और उसकी कीमत भी बेहद कम हो गई क्योंकि उसका प्रोडक्शन बढ़ गया। कोयले से बनने वाली भट्टियों में ज्यादा मजबूत कांच की बोतल भी बनने लगी थीं। भट्टियों में कांच की बोतलें गोल की जगह लंबी होने लगी थीं जिससे वाइन को लंबे वक्त तक स्टोर किया जाने लगा और उसे ट्रांसपोर्ट भी करना आसान हो गया।
लेकिन इन सब बातों का बोतल के 750 ml होने से क्या संबंध है? असल में उस दौरान हर बोतल को कारीगर बनाते थे। उसे आकार देने के लिए मुंह से हवा छोड़कर फुलाया जाता था। आम आदमी के फेफड़ों में 700 ml से 800 ml तक ही हवा भरकर निकल पाती है। यही वजह है कि जो कारीगर थे, वो 750 ml तक हवा बोतल में छोड़ते थे।
आज के वक्त में जब बोतलें मशीन से बनती हैं और उनका आकार अपने अनुसार कुछ भी रखा जा सकता है, उसके बावजूद कंपनियों ने पुराना लुक देने के लिए बोतलों को 750 ml का ही बनाना जारी रखा है।
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