हिंदू नवरात्र का त्योहार शुरू हो चुका है। इन नौ दिनों में बड़े पैमाने पर हिंदू व्रत रखते हैं. इस दौरान वो केवल सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं, जिसे पवित्र और प्राकृतिक तौर पर शुद्ध माना जाता है लेकिन ये नमक भारत में आमतौर पर नहीं होता। ये पूरी तरह से हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान से आता है। पूरी दुनिया में सेंधा नमक की आपूर्ति पाकिस्तान से ही होती है। जानते हैं इसके बारे में...

व्रत में हिंदू लोग एक ही नमक का इस्तेमाल करते हैं, इसे सेंधा नमक कहते हैं। ये नमक हमेशा से पाकिस्तान से भारत आता रहा है। बगैर उसके हमारा काम भी नहीं चल सकता। क्योंकि ये नमक पूरी दुनिया में केवल पाकिस्तान में ही होता है। इसको लेकर हमारे यहां धार्मिक मान्यताएं रही हैं। बगैर इस नमक के हम त्योहारों, पूजा-पाठ के दौरान अपना भोजन ही तैयार नहीं कर सकते। उसमें इसी नमक का इस्तेमाल होता है। ये सेंधा नमक कहा जाता है, जिसे रॉक साल्ट या हिमालयन साल्ट भी कहा जाता है।

पाकिस्तान से हमारे संबंध बिगड़ने से बहुत सारे सामानों के व्यापार पर असर पड़ा है। उसके बाद भी ये नमक बदस्तूर आता रहा है। पाकिस्तानी मीडिया की मानें तो 50 के दशक में भारत और पाकिस्तान के बीच जो समझौता हुआ था। उसमें इस नमक की सतत आपूर्ति को लेकर भी करार हुआ था।

अब पाकिस्तान से जो भी वस्तुएं व्यापार के तहत भारत आती हैं, उसमें 200 फीसदी शुल्क लगता है। उसके बाद भी सेंघा नमक का भारत आना बहुत सस्ता है। ये नमक केवल 2 रुपए किलो पाकिस्तान से भारत आता है। 200 फीसदी ड्यूटी के बाद भी ये भारत में व्यापारियों को 6 रुपए प्रति किलो के रेट में मिलता है। भारत में इस नमक की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम होता है।

ये नमक बिना रिफाइन हुआ होता है। इसमें कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है। सादे नमक की तुलना में इसमें ये तीनों ही चीजें ज्यादा होती हैं। स्वास्थ्य के लिए भी ये काफी फायदेमंद माना जाता है।

सेंधा नमक को 'सैन्धव नमक' भी कहा जाता है, जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु इलाक़े से आया हुआ'। पाकिस्तान के लाहौर से आने की वजह से इसे लाहौरी नमक भी कहा जाता है। वर्तमान पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर पंजाब में नमक कोह नाम की मशहूर पहाड़ी है, जहां यह नमक मिलता है। पहाड़ियों की इसी श्रृंखला में 'खेवड़ा नमक खान' भी है जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नमक की खान है।

'खेवड़ा नमक खान' से हर साल करीब 4.65 लाख टन नमक निकाला जाता है। ये खान इतनी बड़ी है कि आने वाले 500 सालों तक नमक की सप्लाई यहां से की जा सकती है।

खेवड़ा नमक खान में करीब 40 किलोमीटर लंबा टनल है। इस टनल से निकला नमक पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में आता है। भारत में  भी ये नमक हिमाचल प्रदेश और राजस्थान की सांभर झील से मिलता है लेकिन वो बहुत कम मात्रा में मिलता है और उसकी क्वालिटी भी पाकिस्तान से आने वाले सेंघा नमक की तुलना में हल्की है।

सेंधा नमक भारतीय खाने और चिकित्सा में हाज़मे के लिए भी इस्तेमाल होता है। सेंधा नमक को सैन्धव नमक, लाहौरी नमक हैलाईट (Halite) सोडियम क्लोराइड (NaCl) कहा जाता है। यह अक्सर रंगहीन या सफ़ेद होता है, हालांकि कभी-कभी अन्य पदार्थों की मौजूदगी से इसका रंग हल्का नीला, गाढ़ा नीला, जामुनी, गुलाबी, नारंगी, पीला या भूरा भी हो सकता है।

खेवड़ा नमक खान पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के झेलम ज़िले में इस्लामाबाद से 160 किमी दूर है। जहां से सदियों से सेंधा नमक खोदकर निकाला जा रहा है।

इस खान में पहाड़ के अन्दर सुरंगे बनाकर नमक निकाला जाता है। नमक निकालते केवल 50% निकाला और 50% छोड़ दिया जाता है। छोड़ा इसलिए जाता है ताकि अन्दर पत्थरीली दीवारों और स्तंभों के रूप में खान के ढांचे को सहारा मिलता रहे।

इस खान को खोदते खोदते यहां कमरे बन चुके हैं। मंजिल नुमा इसकी गहराई का अंदाजा लगाया जाए तो ये 19 मंजिलों के बराबर गहरी है। इस खान में बनी सभी सुरंगों की गहराई मापी जाई तो करीब 730 मीटर लंबी बनेंगी।

इतिहास बताता है कि इस खान की खोज योद्धा सिकंदर के काल में हुई। जब सिकंदर ने खेवड़ा इलाके पर धावा बोला तो वहां उसके घोड़ों नें दीवारों को चाटना शुरू किया। जिसके बाद पता चला कि यहां नमक की खान है।

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