वरिष्ठ कवियत्री पारुलराज जी (नई दिल्ली)

नई दिल्ली: पुनीत माथुर। परवाज़ के साहित्यिक पृष्ठ साहित्य सरोवर में आज प्रस्तुत हैं वरिष्ठ कवियत्री, लेखिका और शिक्षका पारुल राज जी की दो सुंदर रचनाएं ....

वो पूछते है राज़ ए दिल,

मगर सब बताऊ कैसे!

छिल गया है दिल बताऊ' कैसे, 

एक पीर है हिया में, जताऊ  कैसे!

वो आये कल, सपने मे, 

एक भरम की तरह!

ये सबको बताऊ कैसे,

इस मासूम से चेहरे और ,

इन मुस्कुराती आंखों  का! 

असल भाव और सार, जताऊ कैसे!

*****

आस और अटूट 

विश्वास है प्यार, 

सहृदय समर्पण 

और अपनापन है प्यार, 

मन का मीठा संगीत 

और सुकून है प्यार, 

तुम्हारी जीत में 

मेरी जीत है प्यार,

मोह का 

अनुप्रास अलंकार है प्यार,

उनकी अनकही बातों को 

समझना है प्यार, 

तुम्हारे बिन बोले 

फिक्र है प्यार, 

देह स्पर्श से परे 

रूह का स्पर्श है प्यार,

तुम्हारे मान सम्मान में ही 

मेरा सम्मान है प्यार, 

खुद को भूल कर 

तेरा हो जाना है प्यार, 

तुम्हारे मान सम्मान की 

रक्षा है प्यार, 

न आदि न 

अनंत है प्यार, 

अविरल गति है, 

मंद मुस्कान है प्यार, 

तुम्हारी हंसी में दबी 

उदासी को समझ लेना है प्यार, 

तुम्हे तुमसे अधिक समझना

और निभाना है प्यार, 

न अल्प न पूर्ण 

विराम है प्यार, 

सरल, सहृदय, विनम्र 

एक मीठा अहसास है प्यार।

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