नई दिल्ली : पुनीत माथुर। वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार श्री सुनील श्रीवास्तव के उपन्यास ‘नदी को बहने दो‘ का विमोचन डॉ. चकाचौंध ज्ञानपुरी ने होटल किंग्स बनारस में किया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री ज्ञानपुरी ने कहा, ‘नदी को बहने दो' को पढ़ते समय अनायास ही प्रख्यात साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु जी की याद ताजा हो गयी। यह उपन्यास युवा प्रेम के आदर्श और संस्कार का कहन है। इसकी बुनावट बहुत ही बारीक और ग्राम्य परिवेश को अपने में समेटे है। उपन्यास का कथानक अपने शिल्प में उदार है और रिश्तों को समय से जोड़़कर देखने और समझने का प्रयास करता है।



युवा कवियित्री व रेडियो उद्घोषिका अनामिका अर्श ने कहा कि इस उपन्यास के पात्र अपने परिवेश और परिस्थितियों से संघर्ष करते हैं लेकिन इनमें कोई ओछापन नहीं है। ये अपने जीवन के छोटी छोटी खुशियों हासिल कर संतुष्ट होते हैं। कहानी आम आदमी की व्यथा को दर्शाती है। उपन्यास  का कथानक और शिल्प दोनों ही सशक्त हैं।



सुवर्णा साहित्यिक संस्था  के अध्यक्ष और कवि, व्यंग्यकार कमल नयन श्रीवास्तव ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा  कि इस उपन्यास के पात्र व्यवस्था में आमूल परिवर्तन लाने का संकल्प तो करते हैं, लेकिन अपनी सीमाएं भी जानते हैं। लेखक का कौशल यहाँ दिखाई देता है।



डॉ. वीणा रागी ने कहा कि सौम्या और सुरेन्द्र नाम के दो पात्रों के बीच घूमती यह प्रेम कथा सर्वोच्च मूल्यों का बखान करती है। सौम्या की माँ के मनोविज्ञान को बड़े ही धैर्य के साथ चित्रित किया गया है।


इस अवसर पर सुनील श्रीवास्तव के सम्मान में एक कवि गोष्ठी का भी आयोजन हुआ जिसमें प्रोफ़ेसर कमल नयन, डॉ. वीणा रागी, प्रखात रंगकर्मी और कवि अमलेश श्रीवास्तव, देश के सुविख्यात व्यंग्यकार व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सेन्ट्रल लाइब्रेरी के पूर्व चीफ प्रो. डॉ. चकाचौंध ज्ञानपुरी जी, रीता प्रकाश और प्रसिद्ध कवियित्री और रेडिओ उद्घोषिका अनामिका अनु 'अर्श' ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएं सुनाईं। कवि गोष्ठी का सफल आयोजन देर रात तक चला।

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