नई दिल्ली : पुनीत माथुर।मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश की हथकरघा बुनकर व प्रशिक्षक आरती राणा को 'नारी शक्ति पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। ये सम्मान उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह मे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों से मिला।
आरती राणा उत्तर प्रदेश के खीरी की एक हथकरघा बुनकर और प्रशिक्षिका हैंं। उन्होंने 800 से अधिक थारू महिलाओं को थारू हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिया है और 150 महिला स्वयं सहायता समूहों की स्थापना की है जिससे आदिवासी बुनकर महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है।
कुछ समय पहले तक आरती को अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए रोज तालाब से मछलियां पकड़ने जाना पड़ता था। रोटी बनाने के लिए जंगल से लकड़ियां लाने जाना पड़ता था। इतनी मुश्किलों का सामना करने के बाद आज आरती न केवल स्वयं बल्कि पूरे थारू समुदाय की 1200 से ज़्यादा औरतों को हैंडीक्राफ्ट उत्पाद बनाने का मौका देकर उनके भविष्य को सुधार रही हैं।
34 वर्षीय आरती राना यूपी के लखीमपुर खीरी ज़िला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर पलिया ब्लॉक के गोबरौला गांव की रहने वाली हैं। आरती का गांव थारूओं के 46वें गांवों में से एक है, जो पलिया ब्लॉक के तराई क्षेत्र में नेपाल से नजदीक हैं।
आरती को वर्ष 2016 में रानी लक्ष्मीबाई जैसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड से भी समानित किया गया है। इतना ही नहीं इनके यहां का बना हैंडीक्राफ्ट उत्पाद कई देशों के बड़े-बड़े शोरूम में बिकता है।
आरती बताती हैं कि पहले हमारे यहां एक ही लूम (हैंडलूम) लगा था क्योंकि हमारे पास पैसों की कमी थी। बाहर से जो भी घूमने आते और जिन्हें पता चलता कि वो हैंडीक्राफ्ट बनाती हैं, वो उनके पास सामान खरीदने आते थे।
आरती ने बताया कि वर्ष 2008 में दुधवा नेशनल पार्क में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF) की एक टीम भ्रमण करने आई थी। उस वक्त बरसात हो रही थी। उन्होंने बरसात के पानी को उनके घर में टपकते देखा। उस वक्त उनका एक ही लूम था। उन्होंने आरती से पूछा कि वो उनकी क्या सहायता कर सकते हैं मगर वो कुछ बोल नहीं पाईं।
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आरती ने उन्हें जूट से बने कई तरह के हैंडक्राफ्ट दिखाए। जिसके बाद डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (विश्व प्रकृति निधि भारत) वालों ने उनके घर में ही एक टीन शेड डलवाया और 5 लूम लगवाई जिससे आज वो जितना हो सके चीजों को बना सकती हैं।
बता दें कि थारू हस्तशिल्प में मूंज की डलियां बनाकर उसे विशेष प्रकार से सजाया जाता है। इसमें मोर का पंख भी लगाते हैं। लताओं के जेवर काफी आकर्षक होते हैं। साथ ही जूट से बने कालीन, दरियां, वॉल हैंगिंग, शो पीस, चप्पल आदि भी बहुत आकर्षक होते हैंं और देश-विदेश में आजकल इनकी बहुत मांग है।
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