Time travel (समय यात्रा) एक काल्पनिक अवधारणा है जिसके अनुसार, किसी वस्तु को वर्तमान क्षण से कुछ क्षण पीछे अतीत में या फिर वर्तमान क्षण से कुछ क्षण आगे भविष्य में भेज सकते हैं।

ऐसा ही अनुभव करा रही है जामनगर गुजरात की लोकप्रिय कवियत्री उषा शर्मा जी की ये रचना.....

सांइस फिक्शन मूवी देख मैं हो रही थी रोमांचित, 

अविश्वसनीय सी तकनीकों को कर रहे विकसित। 


देखते देखते ना जाने कब आँखों ने झपकी खाई, 

उड़ती कार में थी बैठी शहरों को नीचे छोड़ आई। 


बच्चों को मिलने का ख्याल मन में आज ही आया, 

पल भर में हमनें  ये फ्लाइंग  टिकट बुक करवाया। 


ऊँची मीनारों से ऊपर उड़ते आनंद बहुत है आया, 

रंग बिरंगी उड़ती कारों का अनोखा नजारा पाया। 


जा पहुँचे कुछ पलों में अनोखी दुनिया दी दिखाई, 

तकनीक की ढेरों विचित्रता जहाँ देती थी दिखाई। 


कैप्सूल नुमा घरों में ना खुले दरवाजे थे ना खिड़की, 

देख अनोखे शहर को आश्चर्यचकित आँखें थी बड़ी। 


रोबोट ही  सेवक रोबोट ही  रक्षक घर में थे तैनात, 

बच्चों को देखा तो उमड़ आया ढेरों आशीष प्यार। 


प्यारे प्यारे पोती पोते खेल रहे थे खेल संग रोबोट, 

देखकर हमको दौड़े, हमनें भी गोदी में लिया समेट। 


अनोखी दुनिया देखी इंसानी मशीनों के बसे शहर, 

भूख लगी थी बच्चों को मैंने लाई मिठाई दी ठहर। 


निर्देशित रोबोट चाय संग नाश्ता ले तुरंत  था आया, 

हैरानी से मैंने पूछा बच्चों क्या इसे बातें करना आया। 


माता-पिता के बचपन की बातें जब बच्चों को बताई, 

सुनकर उन्होंने उस समय में जाने की थी इच्छा जताई। 


बच्चों को उस दुनिया में ले जाने का फिर वादा किया, 

यहाँ कैप्सूल नुमा घर में पूरी दुनिया को सिमटा पाया। 


किचन में पूरा काम मारिया रोबो फटाफट थी कर रही, 

नन्हें बच्चों के हर आदेशों को भी बखूबी वो निभा रही। 


बच्चों ने अपने पसंदीदा डिशेज सभी उनको जो बताई, 

तुरंत ही जूस, पिज्जा, सब्जी चपाती टेबल पर सजाई


खाना खाकर बच्चों को कहानी किस्सों की बातें सुनाई, 

उनसे हमनें भी सीखी तकनीकें दुनिया अनोखी पायी। 


तभी किसी ने बाहर शायद घर की डोर बेल थी बजाई, 

खुली नींद लगा दूर देश की सैर से लौट दुनिया में आई।

 कवियत्री उषा शर्मा जी जामनगर (गुजरात)



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