नई दिल्ली (साहित्य सरोवर डेस्क)। रंगों के महापर्व होली पर न्यूज लाइव टुडे लेकर आया है देश विदेश के 5 कवि-कवियत्रियों की वो पाँच चुनिंदा रचनाएं जो सोशल मिडिया पर बहुत पसंद की जा रही हैंं।
पहली रचना होली गीत है जिसका शीर्षक है 'हर्षोल्लास'। इस होली गीत को लिखा है वर्जिनिया, अमेरिका से लोकप्रिय कवियत्री मधु खरे जी ने...
उड़े जब जब होली के रंग,
घर घर में बाजे ढोल मृदंग।
सुर सरगम में होली गीत,
गाएँ सखियाँ, झूमें मीत।
ननद देवर जी भाभी संग,
जीजा साली करें हुड़दंग।
कपड़े आँगन हो गए रंगीन,
पहचानना हो गया संगीन।
धरा हुई इंद्रधनुष सतरंगी,
फागुन में मन है पचरंगी।
गुझिया मिष्टी दस्तरख़ान,
पूरी हलवा मीठा जलपान।
हर्षोल्लास से भरपूर मन,
बूढ़े दिल ख़ुश बच्चा बन।
लहर लहर लहराये पवन,
पात पात बिरवा आलिंगन।
जब कोयल छेड़े मधुर तान,
कलियाँ चटकीं लेके मुस्कान।
नील गगन इंद्र धनुष सतरंगी,
होली करिश्मा, जय बजरंगी।
इस सुंदर होली गीत के बाद प्रस्तुत है गाज़ियाबाद, उत्तरप्रदेश से युवा कवि विवेक अग्रवाल जी की ये कृष्णमय रचना ...
तन पर क्या मैं रंग लगाऊं,
तेरे रंग में रंगा है मेरा मन।
नाम तेरा ही जपूं रात दिन,
बस तेरी भक्ति में ही मगन।
अबीर-गुलाल-टेसू का क्या है,
सब दो पल में धुल जायेंगे।
श्याम रंग है इतना पक्का,
जनम-जनम की लगे लगन।
शब्द, भाव और शिल्प की त्रिवेणी प्रवाहित करता हुआ यह गीत लिखा है जामनगर, गुजरात की उषा शर्मा जी ने जिसका शीर्षक है 'फागुनी बहार आई'...
फागुनी बहार आई मन में छाया उल्लास है,
देखो! अब लुभा रहा सबको ये मधुमास है।
फाल्गुनी मेलों की रीत, बसंत फाग के गीत,
बौराए जो तन - मन सभी देखो क्या बात है।
कोयल गाए मीठे नगमे मनवा रंगीन हो जाए,
पिय गए परदेस सजनी जोहती अब बाट है।
आम्रकुंज बौर झूमे कलियाँ डाली डाली चूमे,
खिलती बहारों ने किया ये अनुपम श्रृंगार है।
फागुन नयी उमंग लाया मधुर अहसास लिए,
अपनेपन का चहुंँओर दिलों में हुआ वास है।
बासंती पवन बहती, प्रीत राग ये मन में छेड़े,
झूमती गेहूँ बालियाँ देख, मगन धरा आज है।
बिखरे सौहार्द के रंग,अंबर अबीर गुलाल उड़े,
कान्हा रूप टोली - टोली खेलें होली खास हैं।
आओ! सब हिलमिल जी लें पल ये उमंग भरे,
प्रेम बहे जीवन में मिलन पर्व होली मधुमास है।
और अब एक होली गीत जिसे लिखा है न्यूज लाइव टुडे के संपादक पुनीत कुमार माथुर 'परवाज़' जी ने....
महके रंग बहारों में लगते जुदा नज़ारों में,
रंगों से रंगीं ये दुनिया करती बात इशारों में।
हर रंग की है बात निराली हरा रंग लाता हरियाली,
रंगों की अब सज गई क्यारी फैली मोहक छटा है प्यारी।
जीवन के हैंं रंग अनेक एक से मिल कर हुए प्रत्येक,
हर पल अपना महत्व बताए तरह तरह के रंग दिखाए।
प्रीत के रंग में गहरी लाली कान्हा संग नाचे मतवाली,
राधा संग मीरा भी गावे गा गा फाग उड़ावे गुलाली।
होली दिखाती रंग अनेक सबको रंगती रंग में एक,
नेक इरादे ले कर आती खुद जल सबको संग कर जाती।
महके रंग बहारों में लगते जुदा नज़ारों में,
रंगों से रंगीं ये दुनिया करती बात इशारों में।
आज की इस प्रस्तुति में चार चाँद लगा रहा है नई दिल्ली से उषा शर्मा जी का यह बहुत मनभावन होली गीत...
मत भिगावे मोरी चुनरी कान्हा,
दूंगी गाली हजार रे।
कान्हा रंग गयो मो पे डार रे।
चुपके से आए मुझे सताए,
गालों में गुलाल लगाए।
मारे पिचकारी करे बरजोरी,
माने ना बात हमार रे।
कान्हा रंग गयो मो पे डार रे।
छुप-छुप कर वो नैन लड़ावे,
दधि,माखन खावे बिखरावे।
ग्वाल-बाल संग रास रचावे,
देखो मुरली मधुर बजाये रे।
कान्हा रंग गयो मो पे डार रे।
नट-खट है बड़ो बात ना माने,
पीलो,लाल गुलाल उड़ावे।
फोड़े मटकिया खींचे चुनरिया,
तनिको नहीं लजाए रे।
कान्हा रंग गयो मो पे डार रे।
मत भिगावे मोरी चुनरी कान्हा,
दूंगी गाली हजार रे।
कान्हा रंग गयो मो पे डार रे।...
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