नई दिल्ली : पुनीत माथुर। उत्तर प्रदेश के वाराणसी की कुसुमावती की उम्र अंतिम पड़ाव पर जरूर है, लेकिन वो आज बेहद चर्चा में है। जी हां सोशल मिडिया में कुसुमावती देवी काफी चर्चा में हैं।

कुसुमावती 75 वर्ष की हैं और प्रतिदिन एक पाव से आधा किलोग्राम तक बालू खाती हैं।इनकी मानें तो 18 साल की उम्र में एक वैद्य के कहने पर इन्होंने कंडे की राख खाना शुरू किया था जो धीरे-धीरे बालू में बदल गया है।

शुरुआती दिनों में कुसुमावती देवी का बालू खाना दैनिक दिनचर्या बन चुका है। सुबह चाहे नास्ता भले न करती हों, लेकिन समय से बालू जरूर खाती हैं और वह भी गंगा बालू, जिसके लिए इनके नाती पोते बकायदा इंतजाम करते हैं।

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कुसुमावती देवी गांव के लिए तो आश्चर्य हैं ही साथ ही अपनी कर्मठता और निरोगता के लिए भी काफी जानी जाती हैं। कुसुमावती देवी एक मुर्गी फार्म चलाती हैं और खेत के एक छोटे से हिस्से में घर बनाकर रहती हैं।

कुसुमावती के दो बेटे हैं, जिनके 3 बच्चे भी हैं। एक भरापूरा परिवार है लेकिन यह अपनी ज़िद और कर्मठता की वजह से एक अलग घर में रहती हैं और मनमाने तरीके से बालू का सेवन करती हैं। वहीं सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है।




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