नई दिल्ली : पुनीत माथुर। पीएम मोदी 14 सितंबर को जिन्ना के घोर विरोधी जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर खुलने वाले विश्वविद्यालय का शिलान्यास करेंगे। अलीगढ़ में खुलने वाले इस विश्वविद्यालय का सीएम योगी ने 2019 स्थापित करने का भरोसा दिया था। 

बताया जाता है कि जाट राजा महेंद्र सिंह जिन्ना के घोर विरोधी थे। दुःख की बात ये है कि उन्हीं के द्वारा दान की गई जमीन पर बने विश्वविद्यालय से उनका नाम हटा दिया गया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम की तैयारियां देखने के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आ सकते हैं। पीएम के 14 सितंबर के कार्यक्रम की तैयारी में जनपद के आला अफसर हाई अलर्ट मोड पर हैं। 

आइए आपको बताऊं कि कौन थे राजा महेन्द्र प्रताप सिंह....

महेन्द्र प्रताप मुरसान रियासत के शासक थे। यह रियासत वर्तमान उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में थी। महेन्द्र प्रताप का जन्म 1 दिसम्बर 1886 को हुआ। अलीगढ़ में सैयद खाँ द्वारा स्थापित स्कूल में बी. ए. तक शिक्षा ली लेकिन बी. ए. की परीक्षा में पारिवारिक संकटों के कारण बैठ न सके।



उन्होंने 1909 में वृन्दावन में 'प्रेम महाविद्यालय' की स्थापना की जो तकनीकी शिक्षा के लिए भारत में प्रथम केन्द्र था। मदनमोहन मालवीय इसके उद्धाटन समारोह में उपस्थित रहे। 

वे जाति, वर्ग, रंग, देश आदि के द्वारा मानवता को विभक्त करना घोर अन्याय, पाप और अत्याचार मानते थे। उन्होंने वृन्दावन में स्थित एक विशाल फलवाले उद्यान को, 1911 में आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश को दान में दे दिया। जिसमें आर्य समाज गुरुकुल है और राष्ट्रीय विश्वविद्यालय भी है।

प्रथम विश्वयुद्ध से लाभ उठाकर भारत को आजादी दिलवाने के पक्के इरादे से वे विदेश गये। इसके पहले वो देहरादून से 'निर्बल सेवक' समाचार-पत्र निकालते थे। राजा महेन्द्र प्रताप ने विदेश जा कर जर्मनी के शसक कैसर से भेंट कर उन्हें आजादी में हर संभव सहायता देने का वचन दिया। 

वहाँ से वह अफगानिस्तान गये। वहीं से 1 दिसम्बर 1915 में भारत के लिए अस्थाई सरकार की घोषणा की जिसके राष्ट्रपति स्वयं तथा प्रधानमंत्री मौलाना बरकतुल्ला खाँ बने। स्वर्ण-पट्टी पर लिखा सूचनापत्र रूस भेजा गया। अफगानिस्तान ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया तभी वे रूस गये और लेनिन से मिले। परंतु लेनिन ने कोई सहायता नहीं की। 

उन्होंने विश्व मैत्री संघ की स्थापना की। 1946 में भारत लौटने पर सरदार पटेल की बेटी मणिबेन उनको लेने कलकत्ता हवाई अड्डे गईं। वे संसद-सदस्य भी रहे। 26 अप्रैल 1979 में उनका देहान्त हो गया। 

मार्च 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा की है।


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