पितृ पक्ष में मृतक परिजनों की आत्मा के लिए तर्पण-श्राद्ध किए जाते हैं। कई मृतकों की तिथि पता नहीं होती है, उनका श्राद्ध कब करें इसकी जानकारी नहीं होती है। इस संबंध में धर्म-शास्त्रों में कुछ अहम जानकारियां दी गईं हैं। इसमें सुहागिन महिला, अविवाहित लोग, अकाल मृत्यु, आदि के श्राद्ध के लिए अलग-अलग तिथियां हैं।
श्राद्ध की कुछ महत्वपूर्ण तिथियां :
सुहागिन महिला के श्राद्ध की तिथि : यदि महिला के निधन की तिथि पता न हो तो उसका श्राद्ध पितृ पक्ष की नवमी (30 सितंबर) को करें।
मृत बच्चों के श्राद्ध की तिथि : यदि श्राद्ध मृत बच्चे का हो तो पितृ पक्ष की त्रयोदशी (4 अक्टूबर) पर करें।
संन्यासी के श्राद्ध की तिथि : यदि श्राद्ध किसी संन्यासी का करना है तो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की एकादशी (2 अक्टूबर) पर करें।
अकाल मृत्यु पाने वालों के श्राद्ध की तिथि : जिन लोगों की अकाल मृत्यु हुई हो (आत्महत्या या दुर्घटना) और तिथि मालूम न हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी (5 अक्टूबर) पर करें।
ऐसे सभी मृत लोगों की श्राद्ध तिथि जिनकी मृत्यु की तिथि का पता न हो: ऐसे सभी मृत परिजन जिनकी मृत्यु की तिथि का पता न हो उनका श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन कर सकते हैं, जो कि 6 अक्टूबर को है। भूले हुए श्राद्ध भी इस दिन किए जा सकते हैं।
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(आलेख : उषा सोलंकी, उज्जैन,मध्यप्रदेश) |
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