जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏🏻


मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय 'ज्ञानकर्मसंन्यासयोग' से।


अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्।

प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय संभवाम्यात्ममायया॥

(अध्याय 4, श्लोक 6)


इस श्लोक का अर्थ है : अजन्मा, अविनाशी और सभी प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी मैं, अपनी प्रकृति को अधीन करके  अपनी योगमाया से प्रकट होता हूँ। 


 सुप्रभात !


पुनीत कुमार माथुर  

ग़ाज़ियाबाद

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