नई दिल्ली : पुनीत माथुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रपति जो बाइडेन को बधाई दी। 

जबकि एक हफ्ता पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को 100 साल पूरे होने पर भारत सरकार ने कोई बधाई संदेश चीन को नहीं भेजा। माना जा रहा है कि चीन की विस्तारवादी और सीमा पर लगातार पर विवाद से ऐसा किया गया है।  कहा जा रहा है कि भारत कि ओर से चीन को यह कड़ी चेतावनी है ।

पीएम मोदी ने अमेरिका के 245वें स्वतंत्रता दिवस पर ट्वीट किया, ‘राष्ट्रपति जो बाइडेन और सभी अमेरिका वासियों को 245वें स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं और बधाई। भारत और अमेरिका दोनों जीवंत लोकतंत्र हैं तथा स्वतंत्रता और आजादी के मूल्यों को महत्व देते हैं। हमारी सामरिक साझेदारी का वैश्विक महत्व है।’ ‘वहीं, एक जुलाई को न तो केंद्र सरकार और न ही भारत की किसी अन्य राजनीतिक पार्टी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को 100 साल पूरे होने के मौके पर बधाई दी थी।

भारत की ओर से सिर्फ सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने शी जिनपिंग को चिट्ठी लिखी थी।सौ साल पूरे होने की खुशी में चीन में जश्न मनाया गया लेकिन न तो बीजेपी-कांग्रेस और न ही किसी अन्य पार्टी ने ही इसको तवज्जो दी। कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल पूरे होना महज एक समारोह तक सीमित नहीं, बल्कि अब यह 1949 में जन्में चीन का दूसरा नाम बन गई है। 

बता दें कि चीनी सैनिक लगातार भारत के साथ एलएसी पर विवाद में उलझ रहे हैं। एक साल पहले ही गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी। जब भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा गया कि सीपीसी को बधाई क्यों नहीं दी गई तो उन्होंने कहा कि यह कोई सरकारी मामला नहीं था। 

खास बात यह है कि बीजेपी ने इसी साल फरवरी में वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी को उसकी सालगिरह पर बधाई दी थी। 


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