जय श्री राधे कृष्ण 🙏 


मित्रों आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' से ही है ....


         स: तया श्रद्धया युक्तस्तस्याराधनमीहते ।

     लभते च ततः कामान्मयैव विहितान्हि तान् ॥

                (अध्याय 7, श्लोक 22)


इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - वह पुरुष उस श्रद्धा से युक्त होकर उस देवता का पूजन करता है और उस देवता से मेरे द्वारा ही विधान किए हुए उन इच्छित भोगों को निःसंदेह प्राप्त करता है।


सुप्रभात !


पुनीत कुमार माथुर  

ग़ाज़ियाबाद

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