जय श्री राधे कृष्णा 🙏 


प्रणाम मित्रों ! 


आज का श्लोक भी मैंने लिया है  श्रीमद्भगवद्गीता के पांचवे अध्याय 'कर्म संन्यास योग' से । 


भोक्तारं यज्ञतपसां सर्वलोकमहेश्वरम्।

सुहृदं सर्वभूतानां ज्ञात्वा मां शान्तिमृच्छति॥

(अध्याय 5, श्लोक 29)


इस श्लोक का अर्थ है : (श्री कृष्ण भगवान कहते हैं) मेरा भक्त मुझे सब यज्ञ और तपों का भोगने वाला, सभी लोकों के ईश्वरों का भी ईश्वर और सभी प्राणियों का सुहृद् जान कर शान्ति को प्राप्त होता है।


शुभ प्रभात! 


पुनीत कुमार माथुर 

ग़ाज़ियाबाद

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