नई दिल्ली (पुनीत माथुर): आज मंगलवार 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी है, इस दिन से सृष्टि के पालनहार भगवान श्रीहरि चार महीने के लिए योगनिन्द्रा में रहेंगे और इस अवधि में सृष्टि का संचालन भगवान भोलेनाथ करेंगे. 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद अब 13 नवंबर देवउठनी एकादशी तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे. 

इस दौरान सभी शुभ कार्यों पर पूरी तरह रोक रहेगी. देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी के बीच की अवधि को चतुर्मास कहा जाता है. चतुर्मास के बाद विवाह का पहला मुहूर्त 15 नवंबर को है. नवंबर में 7 और दिसंबर में 6 शुभ मुहूर्त में फेरे लिए जा सकेंगे.

भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है. भगवान विष्णु के विश्राम अवस्था में चले जाने के बाद मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि करना अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि शुभ कार्यों में देवी-देवताओं का आवाह्न किया जाता है. इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं, इसलिए वह मांगलिक कार्यों में उपस्थित नहीं हो पाते हैं. जिसके कारण इन महीनों में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है।

हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्मास आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू होकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक रहता है. साल 2021 में चतुर्मास 20 जुलाई 2021 से शुरू होगा. 20 जुलाई 2021 को देवशयनी एकादशी भी है और 14 नवंबर 2021 को देवोत्थान एकादशी है. 

देवउठनी एकादशी से भगवान विष्णु विश्राम काल पूरा करने के बाद क्षीर सागर से निकल कर सृष्टि का संचालन करते हैं. 15 नवंबर को माता तुलसी और सालिग्राम का विवाह हिंदू धर्म के हर घर-घर में संपन्न होगा. इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है. 

इस दिन से शुभ मुहूर्तों की शुरुआत हो जाएगी. विवाह का पहला मुहूर्त 15 नवंबर को है. नवंबर 2021 में कुल 7 और दिसंबर में 6 शुभ मुहूर्त है, जिसमें फेरे लिए जा सकेंगे.

विवाह मुहूर्त :

नवंबर – 15, 16, 20, 21, 28, 29 और 30

दिसंबर – 1, 2, 6, 7, 11 और 13



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