कौन कहता है कि आप नहीं हो

जब मैं अपने बेटे के देर से घर आने पर 

उसे डांट लगाता हूँ 

तब आप ही तो होते हो.


जब महीने के आख़िरी दिनों में 

कागज़ के नीचे रखे पैसे गिनता हूँ 

तब आप ही तो होते हो 


जब स्कूटर के टायर के 

पुराने होने पर बार बार पंचर बनवाता हूँ 

तब आप ही तो होते हो 


जब बहन बहनोई के आने पर 

बहुत खुश हो जाता हूँ 

तब आप ही तो होते हो 


जब पत्नी को इस बात पर 

डांट लगाता हूँ कि 

तेल इतनी जल्दी कैसे खत्म हो गया 

तब आप ही तो होते हो 


जब बोनस मिलने पर 

बच्चों को फिल्म दिखाता हूँ 

बाहर खाना खिलवाता हूँ 

तब आप ही तो होते हो 


जब सोते हुए बेटे के सिर पर 

हाथ फ़िराता हूँ 

तब आप ही तो होते हो 


सुबह उठ कर जब 

बुदबुदाता हूँ कि 

कान्हा जी दिन अच्छे से गुज़र जाए

तब आप ही तो होते हो 


आप हमेशा ही रहोगे 

मेरे साथ भी 

मेरे बाद भी.. 

मेरे बेटे में.

© पुनीत कुमार माथुर 



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