जय श्री राधा माधव 🌹🙏🏻


मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय 'कर्मयोग' से। 


मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा।

निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः॥

(अध्याय 3, श्लोक 30)


इस श्लोक का अर्थ है : मुझ अन्तर्यामी परमात्मा में लगे हुए चित्त द्वारा सम्पूर्ण कर्मों को मुझमें अर्पण करके आशारहित, ममतारहित और सन्तापरहित होकर (तुम) युद्ध करो अर्थात अपने कार्य करो।  


सुप्रभात ! 


पुनीत कुमार माथुर

 mpuneet464@gmail.com



Share To:

Post A Comment: