जय श्री कृष्णा 🌹🙏


मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे  अध्याय 'ज्ञानकर्मसंन्यासयोग' से।


वीतरागभयक्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः।

बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः॥

(अध्याय 4, श्लोक 10)


इस श्लोक का अर्थ है : नष्ट आसक्ति, भय और क्रोध वाले, मुझसे अनन्य प्रेम करने वाले और मेरे आश्रित रहने वाले बहुत से भक्त ज्ञान रूपी तप से पवित्र होकर (पहले भी) मेरे स्वरूप को प्राप्त हो चुके हैं। 


सुप्रभात ! 


पुनीत कुमार माथुर 

ग़ाज़ियाबाद

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