जय श्री राधे कृष्ण🙏
आज का ये श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय 'विश्व रूप दर्शन योग' से है। इस श्लोक में भी भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाते हुए अपने प्रभाव का वर्णन कर रहे हैं।
द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं च कर्णं तथान्यानपि योधवीरान् ।
मया हतांस्त्वं जहि मा व्यथिष्ठायुध्यस्व जेतासि रणे सपत्नान् ॥
(अध्याय 11, श्लोक 34)
इस श्लोक का भावार्थ : द्रोण, भीष्म, जयद्रथ, कर्ण और भी अन्य अनेक मेरे द्वारा मारे हुए इन महान योद्धाओं से तू बिना किसी भय से विचलित हुए युद्ध कर, इस युद्ध में तू ही निश्चित रूप से शत्रुओं को जीतेगा।
सुप्रभात !
पुनीत कुमार माथुर
ग़ाज़ियाबाद।
Post A Comment: