नई दिल्लीः पुनीत माथुर। कानपुर में हुए गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पांच साथियों के एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को क्लीन चीट मिल गई है। न्यायमूर्ति बीएस चौहान जांच आयोग को इस मामले में पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। 

बता दें कि विकास दुबे और उसके साथियों ने 3 जुलाई 2020 को बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का आरोप लगा था, जिसमें एक सीओ भी मारे गए थे।

बिकरू कांड के बाद यूपी पुलिस ने गैंगस्टर और उसके पांच साथियों का एक हफ्ते के अंदर एनकाउंटर कर दिया था। इन एनकाउंटर को गलत बताते हुए यूपी पुलिस के खिलाफ जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में छह पीआईएल दायर की गई थीं। 

इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को यूपी सरकार को आदेश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश चौहान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग बनाकर जांच कराई जाए। इस आयोग में इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता शामिल थे।

आयोग ने आठ महीने तक इस मामले की जांच की और सोमवार को रिपोर्ट शासन को सौंपी। अब यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपी जाएगी। सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में कहा गया है कि 3 जुलाई की रात को पुलिस की छापेमारी के दौरान विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस टीम पर हमला किया। 

वहीं विकास दुबे और उसके साथियों का दिन में एनकाउंटर हुआ, लेकिन कोई भी गवाह सामने नहीं आया जो कहे कि पुलिस ने गलत एनकाउंटर किए। इसलिए यूपी पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले।

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