डॉ.यासमीन मूमल (मेरठ)

नई दिल्लीः पुनीत माथुर। दोस्तों न्यूज़ लाईव टुडे के साहित्य सरोवर में आज पेश है मशहूर शायरा डॉ.यासमीन मूमल (मेरठ) की एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल ...


ख़्वाब आँसू की तरह हरदम पिघलता है, 

दिल किसी की याद में दिन-रात जलता है। 


यूँ नसीबों ने दिखाया है असर अपना

वक़्त बेचारा बना अब हाथ मलता है। 


तन्ज़िया जो पूछते हैं हाले दिल मेरा।

इस अदाकारी पे दिल कुछ और जलता है। 


इस तरह इठला के चलना छोड़ भी दे तू, 

चाल पर तेरी कहाँ मौसम बदलता है। 


ग़ैर की बस्ती से तो आमद नहीं इसकी, 

ये अँधेरा दीप के नीचे ही पलता है। 


मत तलाशो 'यास्मीं' तुम खोट इंसां में, 

वक़्त पर खोटा भी सिक्का ख़ूब चलता है। 


- डॉ.यासमीन मूमल

Share To:

Post A Comment: