माँ के चरणों में एक भेंट ....
मैया आया मैं तेरे द्वार
मेरे भी दुःख तू हर ले।
होगा बड़ा तेरा उपकार
मेरे भी दुःख तू हर ले।
नभ में हैं तारे जितने
तेरे भक्त ज़मीं पे उतने।
सबका करना तू कल्याण
मेरे भी दुःख तू हर ले।
जिसने भी तुझे पुकारा
तूने उसका भाग्य संवारा।
तेरी लीला अपरंपार
मेरे भी दुःख तू हर ले।
चाहूं ना चांदी सोना
इनसे क्या मेरा होना ।
मेरा सुखी रहे परिवार
मेरे भी दुःख तू हर ले।
सुध कहाँ रही मुझे मेरी
देखी जो मूरत तेरी।
तेरा देख भव्य श्रृंगार
मेरे भी दुःख तू हर ले।
मैया आया मैं तेरे द्वार
मेरे भी दुःख तू हर ले।
होगा बड़ा तेरा उपकार
मेरे भी दुःख तू हर ले।
© पुनीत कुमार माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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