जय श्री राधे कृष्णा 🙏
मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय 'ज्ञानकर्मसंन्यासयोग' से।
कर्मण्यकर्म यः पश्येद- कर्मणि च कर्म यः।
स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत्॥
(अध्याय 4, श्लोक 18)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) जो कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म देखता है, वह मनुष्यों में बुद्धिमान है और वह योगी सभी कर्मों को करने वाला है।
सुप्रभात !
पुनीत कुमार माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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