जय श्री राधे कृष्ण🌹🙏
मित्रों आज का ये श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय 'विभूतियोग' से ......
यो मामजमनादिं च वेत्ति लोकमहेश्वरम् ।
असम्मूढः स मर्त्येषु सर्वपापैः प्रमुच्यते ॥
(अध्याय 10, श्लोक 3)
इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) - जो मनुष्य मुझे जन्म-मृत्यु रहित, आदि-अंत रहित और सभी लोकों का महान ईश्वरीय रूप को जान जाता है, वह मृत्यु को प्राप्त होने वाला मनुष्य मोह से मुक्त होकर सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
शुभ प्रभात !
पुनीत कुमार माथुर
ग़ाज़ियाबाद
Post A Comment: