जय श्री राधे कृष्ण 🌹🙏


आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के बारहवें अध्याय 'भक्ति योग' से ....


श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्ध्यानं विशिष्यते। ध्यानात्कर्मफलत्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम् ॥

(अध्याय 12, श्लोक 12)


इस श्लोक का भावार्थ : (श्री भगवान अर्जुन से कह रहे हैं) - मर्म को न जानकर किए हुए अभ्यास से ज्ञान श्रेष्ठ है, ज्ञान से मुझ परमेश्वर के स्वरूप का ध्यान श्रेष्ठ है और ध्यान से सब कर्मों के फल का त्याग श्रेष्ठ है, क्योंकि त्याग से तत्काल ही परम शान्ति होती है। 


सुप्रभात ! 


पुनीत कुमार माथुर  

ग़ाज़ियाबाद।

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