जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏 


मित्रों आज के श्लोक मैंने लिए हैं श्रीमद्भगवद्गीता के दूसरे अध्याय 'सांख्ययोग' से। इन श्लोकों में श्री कृष्ण ने बताया है कि आत्मा सनातन है अर्थात इसका कोई आदि या अंत नहीं है। 


नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।

न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।

(अध्याय 2, श्लोक 23)


इस श्लोक का अर्थ है : इस आत्माको शस्त्र काट नहीं सकते, आग जला नहीं सकती, जल गला नहीं सकता और वायु सुखा नहीं सकता । 


अच्छेद्योSयमदाह्योSयमक्लेद्योSशोष्य एव च । 

नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोSयं सनातनः ॥ 

(अध्याय 2, श्लोक 24)


इस श्लोक का अर्थ है : यह आत्मा अखंडित तथा अघुलनशील है।  इसे न तो जलाया जा सकता है, न ही सुखाया जा सकता है । यह शाश्र्वत, सर्वव्यापी, अविकारी, स्थिर तथा सदैव एक सा रहने वाला है । 


सुप्रभात ! !


पुनीत कुमार माथुर 

ग़ाज़ियाबाद

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