जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏 


मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें  अध्याय 'विभूतियोग' से। 


न मे विदुः सुरगणाः प्रभवं न महर्षयः । 

अहमादिर्हि देवानां महर्षीणां च सर्वशः ॥ 

(अध्याय 10, श्लोक 2)


इस श्लोक का अर्थ है : मेरी उत्पत्ति को अर्थात् लीला से प्रकट होने को न देवता लोग जानते हैं और न महर्षिजन ही जानते हैं; क्योंकि मैं सब प्रकार से देवताओं का और महर्षियों का भी आदिकारण हूँ अर्थात इन सभी की उत्पत्ति भी मुझ से ही हुई है। 


सुप्रभात ! !


पुनीत कुमार माथुर 

ग़ाज़ियाबाद ।

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