जय श्री कृष्णा 🌹🙏


मित्रों आज का यह  श्रीमद्भगवद्गीता के चतुर्थ अध्याय से। 


यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7)


इस श्लोक का अर्थ है : हे भारत (अर्जुन), जब-जब धर्म की हानि यानी उस में कमी आती है और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के उत्थान के लिए अपने रूप को रचता  हूं अर्थात साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूूं।


आपका दिन शुभ हो ! 


पुनीत कुमार माथुर 

ग़ाज़ियाबाद ।

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