नई दिल्ली : पुनीत माथुर। फ्रांस की न्यूज वेबसाइट मीडिया पार्ट ने रिपोर्ट प्रकाशित कर राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में दलाली दिये जाने का दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘द सॉल्ट’ कंपनी की ओर से भारत में एक बिचौलिये को 1.1 मिलियन यूरो दिए गये थे। इस रिपोर्ट ने देश का सियासी माहौल गर्म कर दिया है। कांग्रेस एक बार फिर मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है।

कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने  फ्रांस की न्यूज वेबसाइट मीडिया पार्ट की रिपोर्ट के आधार पर सोमवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा। सुरजेवाला ने कहा कि इस डील में बिचौलिए और कमीशनखोरी को दिए गए बढ़ावे का खुलासा हो गया है। 

सुरजेवाला ने सवाल पूछा है कि 60 हजार करोड़ रुपए की राफेल डील में 1.1 मिलियन यूरो के गिफ्ट किसे दिए गए? उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए। वहीं उन्होंने केंद्र से डील को लेकर स्पष्टीकरण देने की भी बात कही है।



सुरजेवाला ने पार्टी मुख्यालय में पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि बीते दिन खुलासे में सामने आया है कि फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी (एएफए) ने राफेल बनाने वाली ‘द सॉल्ट’ कंपनी के ऑडिट में पाया कि 23 सितम्बर 2016 के चंद दिनों के अंदर राफेल ने 1.1 मिलियन यूरो एक बिचौलिये को दिए थे। इस सारे खर्चे को गिफ्ट टू क्लाइंट की संज्ञा दी। 

इतना ही नहीं, ‘द सॉल्ट’ ने भी स्वीकार किया है कि उसने भारत के साथ डील में मीडिलमैन को एक मिलियन यूरो उपहार के तौर पर दिया है। कंपनी ने यह भी कहा कि यह पैसा राफेल एयरक्राफ्ट के मॉडल बनाने के लिए दिया था।

राफेल डील मामले में सामने आई सच्चाई को लेकर कांग्रेस नेता ने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र की मोदी सरकार जनता को पूरा सच बताए। साथ ही कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट से इस पूरे मामले पर निष्पक्ष जांच की मांग करती है।

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि फ्रांस की जांच एजेंसी एएफए ने अपनी जांच में कमीशनखोरी को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि एएफए ने जांच के दौरान ‘द साल्ट’ से जब पूछा कि आपको अपनी ही कंपनी के मॉडल बनाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट हिंदुस्तान की कंपनी को देने की क्या जरूरत थी? और आपने इसे गिफ्ट टू क्लाइंट क्यों लिखा और वे मॉडल हैं कहां? इन सवालों के जवाब कंपनी नहीं दे सकी है। 

सुरजेवाला ने कहा कि इस पूरी डील से स्पष्ट है कि देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे में भारत और फ्रांस दोनों सरकारों की संलिप्तता बराबर की है।

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