नई दिल्लीः पुनीत माथुर । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को एक पारदर्शी और शुचितापूर्ण तरीके से हम लोग नियुक्ति पत्र देकर उनकी प्रतिभा और ऊर्जा का लाभ राज्य के विकास के लिए ले पाने में सफल हो रहे हैं। लेकिन, क्या आज से चार वर्ष पूर्व ये सम्भव था, जब आयोग की गरिमा स्वयं ही धूल धूसरित थी और दांव पर लगी हुई थी। जाति, क्षेत्र, मत और मजहब देखकर नियुक्तियां प्राप्त होती थी। धनबल और बाहुबल का भरपूर दुरुपयोग होता था। उन स्थितियों में शुचिता और पारदर्शिता की बात तो एक कपोल कल्पना मात्र थी।

शासन को भी नवचयनित युवाओं से अपेक्षा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को 271 नवचयनित खण्ड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को नियुक्ति पत्र वितरित करने के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने  नवचयनित बीईओ से कहा कि जब आप प्रतियोगी छात्र थे और जो अपेक्षा आपकी शासन से थी, उसी प्रकार की अपेक्षा अब शासन भी आपसे करता है। उन्होंने कहा कि सभी के मन में पहले यह भाव रहा होगा की यूपीपीएससी के माध्यम से आप सब प्रदेश सरकार के शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे सकें। लेकिन तब ये सम्भव नहीं था।

पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के लिए आयोग को पहले से स्पष्ट निर्देश

मुख्यमंत्री ने कहा कि वहीं आज हम कह सकते हैं कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग हो, उच्चतर शिक्षा चयन आयोग हो या माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग या बेसिक शिक्षा में भर्ती का कार्यक्रम और पुलिस भर्ती, पूरी प्रक्रिया में शुचिता और पारदर्शिता के प्रति सभी आयोग और बोर्ड को पहले से बहुत स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। यह भी स्पष्ट कर दिया गया था कि अगर कहीं भी कोई पक्षपातपूर्ण कार्यवाही हुई, कहीं भी कोई भ्रष्टाचार की शिकायत हुई, तो आयोग के अध्यक्ष और उनके सदस्यगण और उस व्यवस्था के साथ जुड़े सभी लोग बराबर के जिम्मेदार माने जाएंगे।

अब भर्ती को लेकर शिकायत नहीं करते अभ्यर्थी

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उसका परिणाम है कि प्रदेश का कोई भी युवा प्रदेश सरकार से यह शिकायत नहीं करता है कि कहीं कोई भ्रष्टाचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि युवा इमानदारी से चयन चाहता था। पारदर्शी तरीके से चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का पक्षधर था और आज इसका परिणाम कि चार वर्ष के इस कार्यकाल के दौरान हम प्रदेश के अंदर चार लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने में सफल हुए हैं।

किसी सरकार ने पूर्व में नहीं दी चार लाख नौकरियां 

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह चार लाख नौकरियां सामान्य बात नहीं है। उन्होंने कहा कि 24 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश का गठन नोटिफिकेशन के जरिए हुआ। उससे पहले यह राज्य उप्र नाम से नहीं था। राज्य के गठन से लेकर अब तक चार वर्ष में इतनी बड़ी संख्या में नियुक्तियां नहीं हुई हैं।

पहले दंगे होते रहे, 54 पीएसी कम्पनियां कर दी गई समाप्त

मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग डेढ़ लाख भर्तियां केवल पुलिस महकमे में की गई हैं। पीएसी की 54 कम्पनियां पिछली सरकारों ने समाप्त कर दी गई थी, उनको पुनर्जीवित करने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि जब इस राज्य में हर दूसरे तीसरे दिन बड़ा दंगा होता था, तब पीएसी की कम्पनियों को समाप्त करना ताज्जुब की बात थी। उन्होंने कहा कि दंगा में सम्पत्ति या जनहानि किसी भी पक्ष की हो। लेकिन, छवि प्रदेश के खराब होती थी। प्रदेश प्रभावित होता था। आम आदमी प्रभावित होता था। पुलिस इसलिए असहाय होती थी क्योंकि जहां उसके पास तीन लाख का पुलिस बल होना चाहिए था, वह सवा लाख तक सीमित रह गया था।

तीन महिला वाहिनियों का किया गया पुनर्गठन 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखने बनाए रखने के लिए जो भूमिका पीएसी की भूमिका होनी चाहिए थी, वह संगठन की 54 कम्पनियां समाप्त कर देने के कारण नहीं पा रही थी। इसलिए जब हम लोग सरकार में आए तो पूरी पारदर्शी तरीके से भर्ती की प्रक्रिया करने की बात कही। इसमें महिलाओं को प्राथमिकता दी गई और उसका परिणाम है कि पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, कॉन्स्टेबल सहित अन्य पदों पदों पर भर्ती की गई। समाप्त हो चुकी वाहिनयों को पुनर्जीवित करते हुए तीन महिला वाहिनियों का पुनर्गठन किया गया। पारदर्शी तरीके से प्रक्रिया को पूरा किया गया। एक भी जगह कोई शिकायत नहीं कर सकता कि कहीं किसी ने रुपये का लेनदेन किया और किसी के साथ भेदभाव किया हो।

विभिन्न महकमों को मिला भर्ती प्रक्रिया का लाभ

मुख्यमंत्री ने कहा ऐसे ही शिक्षा विभाग में भी लम्बी लड़ाई लड़ी गई। अन्य जगह भी हमने प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया और भर्ती बोर्ड को इस बात के लिए पूरी तरह स्वतंत्रता दी कि चयन की प्रक्रिया पूरी पारदर्शी और ईमानदारी पूर्ण होनी चाहिए। किसी भी युवा के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री प्रसन्नता जताते हुए कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में ही 1.20 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई। माध्यमिक व अन्य में भी इसी तरह भर्ती की गई है। हमने आरक्षण के नियमों का पालन किया। ऐसे में सरकार की आपसे अपेक्षा होगी कि आप भी अपने क्षेत्र में पूरी ईमानदारी से काम करेंगे।

पहले भारत सरकार की रैंकिंग पीछे रहता था उप्र

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश उन व्यापक संभावनाओं वाले प्रदेशों में से एक है जहां पर किसी भी चीज की कमी नहीं है, बस एक नेतृत्व की आवश्यकता है। पहले जब भारत सरकार की कोई रैंकिंग आती थी तो उत्तर प्रदेश पीछे रहता था, आज वही उत्तर प्रदेश नम्बर एक, दो या तीन पर रहता है। उन्होंने कहा कि  ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उत्तर प्रदेश 2016 में 14वें स्थान पर था। मात्र 04 वर्ष में हमारी टीम ने ऐसा कार्य किया कि आज ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में प्रदेश दूसरे नंबर पर है।

चार वर्षों में 54 लाख अतिरिक्त बच्चों ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में लिया दाखिला

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हर शिक्षक स्कूल जाने के लिए प्रेरित हुआ है। प्रेरणा एप और मानव संपदा पोर्टल ने आज शिक्षकों के वेरिफिकेशन की कार्यवाही को आसान बनाया है। इन चार वर्षों में हमारा एक वर्ष कोरोना प्रबंधन में बीता है। कई राज्यों में कोरोना के मामले अब भी बढ़ रहे हैं। हम इसके लिए सतर्क हैं। इन सबके बावजूद पिछले चार वर्षों में 54 लाख अतिरिक्त बच्चों ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में दाखिला लिया है।

नौकरी को औपचारिकता न बना लें

उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद में आमूलचूल परिवर्तन लाने की दिशा में जो प्रयास प्रारंभ हुए हैं, उनमें सभी सहभागी बनें। नौकरी को औपचारिकता न बना लें। गांव-गांव में बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करें।

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