🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏
आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
आज का ये श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के अट्ठारहवें अध्याय 'मोक्षसंन्यासयोग से ही ..
तच्च संस्मृत्य संस्मृत्य रूपमत्यद्भुतं हरेः ।
विस्मयो मे महान् राजन्हृष्यामि च पुनः पुनः ॥
(अध्याय 18, श्लोक 77)
इस श्लोक का भावार्थ : (संजय बोले) - हे राजन्! श्रीहरि (जिसका स्मरण करने से पापों का नाश होता है उसका नाम 'हरि' है) के उस अत्यंत विलक्षण रूप को भी पुनः-पुनः स्मरण करके मेरे चित्त में महान आश्चर्य होता है और मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ।
- पुनीत माथुर,
ग़ाज़ियाबाद।
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