🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏 


आज का ये दोनों श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के अट्ठारहवें अध्याय 'मोक्षसंन्यासयोग से ही ..


कच्चिदेतच्छ्रुतं पार्थ त्वयैकाग्रेण चेतसा ।

कच्चिदज्ञानसंमोहः प्रनष्टस्ते धनंजय ॥

(अध्याय 18, श्लोक 72)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्णा अर्जुन से कहते हैं) - हे पार्थ! क्या इस (गीताशास्त्र) को तूने एकाग्रचित्त से श्रवण किया? और हे धनञ्जय! क्या तेरा अज्ञानजनित मोह नष्ट हो गया?


अर्जुन उवाच -

नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत ।

स्थितोऽस्मि गतसन्देहः करिष्ये वचनं तव ॥

(अध्याय 18, श्लोक 73)


इस श्लोक का भावार्थ : अर्जुन बोले- हे अच्युत! आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया और मैंने स्मृति प्राप्त कर ली है, अब मैं संशयरहित होकर स्थिर हूँ, अतः आपकी आज्ञा का पालन करूँगा।


आपका दिन मंगलमय हो !  


पुनीत माथुर, 

ग़ाज़ियाबाद।

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