🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏
मित्रों आज का ये श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के अट्ठारहवें अध्याय 'मोक्षसंन्यासयोग से ही ..
श्रद्धावाननसूयश्च शृणुयादपि यो नरः ।
सोऽपि मुक्तः शुभाँल्लोकान्प्राप्नुयात्पुण्यकर्मणाम् ॥
(अध्याय 18, श्लोक 71)
इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्णा अर्जुन से कहते हैं) - जो मनुष्य श्रद्धायुक्त और दोषदृष्टि से रहित होकर इस गीताशास्त्र का श्रवण भी करेगा, वह भी पापों से मुक्त होकर उत्तम कर्म करने वालों के श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त होगा।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत माथुर,
ग़ाज़ियाबाद।
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